पटना : बिहार के भागलपुर जिला में हुए करोडों रुपये के सृजन घोटाला मामले में सीबीआई की एक अदालत ने तीन आरोपियों को सोमवार को जमानत दे दी. उसके बाद यह खबर आग की तरह राजनीतिक हल्कों और आम लोगों में फैली. जमानत मिलने के बाद अब यह चर्चा चलने लगी है कि कहीं सीबीआइ आरोपितों को बचाने में, तो नहीं लगी है. हालांकि, अभी भी सीबीआइ की जांच चल रही है. सीबीआई के विशेष अदालत के न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले में अदालत में पेश हुए 17 आरोपियों में से तीन प्रेम कुमार, सतीश कुमार झा और राकेश कुमार को जमानत दे दी तथा बाकी अन्य की न्यायिक हिरासत की अवधि आगामी 27 नवंबर जिस दिन इस मामले की अगली सुनवाई की जायेगी, तक के लिए बढ़ा दी.
इन तीनों आरोपितों को जमानत इनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किये जाने के लिए निर्धारित समय सीमा 90 दिनों के भीतर नहीं करने पर मिल गयी. उल्लेखनीय है कि इस मामले में सीबीआई द्वारा अब तक 12 आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया जा चुका है.गौरतलब हो कि पूरा मामला भागलपुर के तिलका मांझी थाना कांड संख्या 500 / 2017 से संबंधित है. मामले में एक हजार करोड़ के घोटाले का लाभ लेने का आरोप है. आरोपितों को जमानत मिलने के बाद विपक्षी नेता दबी जुबान में केंद्र सरकार और सीबीआइ पर घोटाले के आरोपितों को बचाने का आरोप लगा रहे हैं.
सीबीआइ जो सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का फैसला किया था, लेकिन चार व्यक्तियों के के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी जिनमें यह तीन शामिल हैं. हालांकि, सीबीआई के वकील ने अदालत का प्रार्थना की और आरोप पत्र दाखिल करने के लिए समय लेने के लिए अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने सीबीआई की याचिका को खारिज कर दिया.
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