जहानाबाद नगर : बच्चों को बेहतर शिक्षा देने तथा शिक्षक-छात्र अनुपात को मानक के अनुरूप बनाने को लेकर कई चरणों में शिक्षक नियोजन किया गया है. नियोजन के क्रम में बड़ी संख्या में गलत प्रमाणपत्र पर तथा दूसरे के प्रमाणपत्र पर शिक्षकों की बहाली हुई है जो धीरे-धीरे अब प्रकाश में आने लगी है.
विभागीय जांच में कई ऐसे शिक्षक बेनकाब हुए हैं जो फर्जी प्रमाणपत्र पर या दूसरे के प्रमाणपत्र पर शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं. ऐसे शिक्षकों पर विभाग के वरीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन इसका प्रभाव संबंधित शिक्षकों पर नहीं पड़ता है. हाल के दिनों में ही जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा उत्क्रमित मध्य विद्यालय आजाद नगर घोसी की शिक्षिका को फर्जी ठहराते हुए उसे बर्खास्त करने का आदेश नियोजन इकाई को दिया गया था. उक्त फर्जी शिक्षिका जिसका असली नाम कौशल्या देवी है
और वह इंदु सिन्हा के नाम से कार्यरत है उस पर कार्रवाई करने का आदेश बेअसर हो गया. पंचायत नियोजन इकाई द्वारा आदेश के बावजूद उक्त शिक्षिका पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. वहीं शिक्षिका बिना डर-भय के स्कूल आ-जा रही है. ऐसे में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों का आदेश बेअसर हो रहा है.
डीईओ के आदेश को भी मानने से कर रहा इन्कार: जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के आदेश को भी नियोजन इकाई नहीं मान रही है. डीईओ द्वारा शिक्षिका को फर्जी घोषित करते हुए नियोजन इकाई को कार्रवाई के लिए लिखा गया, लेकिन उक्त शिक्षिका पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. यही नहीं कुछ दिन पूर्व ही निगरानी द्वारा जिले के 12 शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज करायी गयी थी. इस संबंध में भी विभाग द्वारा संबंधित नियोजन इकाइयों को इन शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए लिखा गया था, लेकिन शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और शिक्षक पूर्व की भांति ही अपने स्कूल आते-जाते देखे जा रहे हैं.
शिक्षकों में खत्म हो रहा है विभागीय अधिकारियों का भय: विभागीय अधिकारियों के आदेश के बाद भी जब नियोजित शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नियोजन इकाई द्वारा नहीं की जा रही है तो इसका दूरगामी प्रभाव पड़ने लगा है. शिक्षकों में जो विभागीय अधिकारियों का भय रहता था वह अब समाप्त होने लगा है. उन्हें लगता है कि जब तक नियोजन इकाई उनके मुट्ठी में है उनपर कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकता है. ऐसे में शिक्षक पढ़ाने के बजाय संबंधित पंचायतों की नियोजन इकाई को खुश करने में लगे रहते हैं. इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात तो दूर शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है.