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1126 एकड़ भूमि का ब्योरा नहीं

गड़बड़ी. आखिर कहां चली गयी भूदान की यह जमीन! मोतिहारी : जिले में भूदान की ग्यारह सौ 26 एकड़ जमीन का कोई व्योरा नहीं है. आखिर वह जमीन कहां चली गयी और किसके जोत में है, इसका पता न तो विभागीय अधिकारी को है और न ही अंचल प्रशासन को. ब्योरा नहीं मिलने की स्थिति […]

गड़बड़ी. आखिर कहां चली गयी भूदान की यह जमीन!

मोतिहारी : जिले में भूदान की ग्यारह सौ 26 एकड़ जमीन का कोई व्योरा नहीं है. आखिर वह जमीन कहां चली गयी और किसके जोत में है, इसका पता न तो विभागीय अधिकारी को है और न ही अंचल प्रशासन को. ब्योरा नहीं मिलने की स्थिति में उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया है. हालांकि शिकायत मिलने के बाद विभाग ने जांच का आदेश दे दिया है. मुख्यालय ने मामले की तहतक जाने का आदेश भूदान कार्यालय के कार्यालय मंत्री को दिया है. विभाग के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिले को पांच हजार 2119 एकड़ जमीन भूदान के तहत बांटने को मिली थी. चार हजार 92.42 एकड़ जमीन 9 हजार 767 भूमिहीनों के बीच बांट दी गयी.
इनमें अनुसूचित जाति के 3 हजार 759 भूमिहीनों के बीच एक हजार 442.82 एकड़, पिछड़ा वर्ग के चार हजार 437 भूमिहीनों के बीच 197.92 एकड़ व सार्वजनिक क्षेत्रों के एक हजार 517 भूमिहीनों के बीच 671.92 एकड़ बांट दी गयी. शेष 1126 एकड़ जमीन को सुरक्षित क्षेत्र दिया गया. जब सुरक्षित छोड़ी गयी जमीन की जरूरत पड़ी और उसके कागजात की जांच खोज शुरू हुई तो उसका कोई रिकार्ड विभाग को नहीं मिला.
कोई विकल्प नहीं आया तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया.
कहीं भू-माफियाओं ने तो नहीं गायब करा दिया रिकॉर्ड
इतनी अधिक भूमि का व्योरा नहीं मिलने अपने आप में एक बड़ा सवाल है. चर्चा है कि कहीं भू-माफियाओं ने तो इसे गायब नहीं करा दिया. इस मामले की भी जांच कराने की मांग यहां उठने लगी है. यहां बता दें कि पूर्वी व पश्चिमी दोनों चंपारण के लिए भू-दान का एक मात्र कार्यालय मोतिहारी में ही है जहां सारा रिकार्ड जमा होता है.
अंचलों ने भी नहीं दिया
कोई प्रतिवेदन
भूदान की जमीन से संबधित पूर्व के अधिकारियों द्वारा अंचलों से भी प्रतिवेदन मांगा गया लेकिन किसी भी अंचल नहीं दिया. दान दी गयी जमीन पर पर्चाधारियों का कब्जा हुआ,या नहीं, इसका भी कोई प्रतिवेदन नहीं आया. पूर्व के जिलाधिकारी अनुपम कुमार द्वारा भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रतिवेदन की मांग की थी.

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