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बिना गुरु के ही चल रहे हैं स्कूल कॉलेज, छात्र हो रहे पास फेल भी

अररिया : सरकार का एक स्लोगन है पढ़ेगा युवा, बढ़ेगा युवा. पर जिले में शिक्षा व विशेष कर उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति से ये सवाल तो पैदा होता है कि बिना गुरू के युवा पढ़ेगा कैसे. क्योंकि कॉलेजों ही नहीं बल्कि उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की बेहद कमी है. शिक्षा व्सयस्था की स्थिति इतनी […]

अररिया : सरकार का एक स्लोगन है पढ़ेगा युवा, बढ़ेगा युवा. पर जिले में शिक्षा व विशेष कर उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति से ये सवाल तो पैदा होता है कि बिना गुरू के युवा पढ़ेगा कैसे. क्योंकि कॉलेजों ही नहीं बल्कि उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की बेहद कमी है. शिक्षा व्सयस्था की स्थिति इतनी बदहाल है कि अधिकांश उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में शिक्षकों के पद ही सृजित नहीं हो पाये हैं. वहीं दोनों अंगीभूत कॉलेज भी कमोबेश बिना शिक्षक ही ज्ञान बांट रहे हैं. इतना जरूर है कि छात्रों का दाखिला भी हो रहा है.

वे पास फेल भी कर रहे हैं.

जिला मुख्यालय स्थित अररिया कॉलेज में हजारों छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. कॉलेज द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक इस वर्ष बीए, बीएससी व बीकॉम प्रथम वर्ष में ही लगभग साढ़े आठ सौ छात्र-छात्राओं का दाखिला हुआ है. पर पर शिक्षकों के 45 सृजित पदों में से केवल आठ शिक्षक कार्यरत हैं. दर्शन शास्त्र, मैथिली, समाज शास्त्र, संस्कृत व अंग्रेजी के अलावा अन्य किसी भी विषय में शिक्षक हैं ही नहीं. विज्ञान संकाय के किसी भी विषय में कोई भी शिक्षक नहीं हैं.
हिंदी, उर्दू ही नहीं बल्कि इतिहास, भूगोल, मनोविज्ञान शास्त्र, राजनीति शास्त्र व कॉमर्स विषय में लंबे समय से शिक्षक नहीं हैं. कुछ विषय के बारे में तो जानकार बताते हैं कि लगभग एक दशक से पद खाली हैं. कॉलेज प्राचार्य संजय कुमार सिंह को इस बात का मलाल है कि शिक्षकों की कमी के चलते ही नैक द्वारा कॉलेज को सी ग्रेड दिया गया. श्री सिंह की मानें तो अन्य सभी पारामीटर में कॉलेज बहुत ऊपर है. पर शिक्षकों की कमी के चलते ही ग्रेड गड़बड़ा गया.
जिले के दूसरे अंगीभूत फारबिसगंज कॉलेज की स्थित भी कमोबेश ऐसी ही हैं. पूछने पर डा अशोक कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि कॉलेज में 10 से 12 हजार छात्र-छात्राएं हैं. पर शिक्षकों की कमी है. उन्होंने बताया कि विज्ञान के किसी भी विषय में शिक्षक नहीं हैं. काफी लंबे समय से यही स्थिति है. दूसरी तरफ उच्च व प्लस-टू विद्यालयों की स्थिति भी बदहाल हो चुकी है. जिला शिक्षा विभाग विभाग से मिली जानकारी से तो यही संकेत मिलता है.
दी गयी जानकारी के मुताबिक वर्ष 2008-09 से लेकर वर्ष 2014-15 के बीच कुल मिला कर जिले के 97 मध्य विद्यालयों को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित किया गया. पर केवल 31 विद्यालयों में ही अब तक शिक्षकों के पद सृजित हुए हैं. शिक्षकों की बहाली के नाम पर केवल औपचारिकता ही निभाई गयी है. बताया गया कि कुल 264 शिक्षकों के स्थान पर 73 शिक्षकों की ही बहाली हुई है. बाकी रिक्त हैं. प्लस-टू स्कूलों की स्थिति भी बदतर ही है. ऐसे प्लस-टू का दर्जा पाने वाले स्कूलों में 314 शिक्षक चाहिए. बहाल केवल 44 हुए हैं. मिली जानकारी के अनुसार जोकीहाट प्रखंड के मलहरिया प्लस-टू में इस बार दाखिला लिया तो गया है. पर शिक्षक केवल उर्दू व अंग्रेजी में बहाल हुए हैं. बाकी विषयों की पढ़ाई कैसे होगी, किसी को कुछ पता नहीं.
सूरते हाल
अररिया कॉलेज- 45 की जगह केवल आठ शिक्षक, इतिहास, भूगोल, फीजिक्स, केमिस्ट्री, गणित, समाज शास्त्र, हिंदी, उर्दू, फारसी, कॉमर्स आदि में कोई शिक्षक नहीं
फारबिसगंज कॉलेज- विज्ञान के किसी भी विषय में एक भी शिक्षक नहीं
उत्क्रमित उच्च् विद्यालय- विद्यालय 97, पद सृजित- 31, बहाल शिक्षक- 73, चाहिए- 264
प्लस-टू विद्यालय- बहाल शिक्षक 44, चाहिए 314
बहाली की प्रक्रिया विश्वविद्यालय स्तर पर चल रही है. फीजिक्स में एक शिक्षक की नियुक्ती की गयी है. अभी उन्होंने योगदान नहीं किया है. दो तीन माह में स्थिति बेहतर होने की उम्मीद हैं.
डा संजय कुमार सिंह, प्राचार्य, अररिया कॉलेज

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