10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दिल्ली : ”मत कहो आकाश में कोहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है”

नयी दिल्ली : दुष्यंत कुमार हिंदी साहित्य के महान आैर चर्चित कवि आैर आलोचकों में शुमार हैं. उन्होंने कर्इ साल पहले ‘मत कहो आकाश में कोहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है.’ एक कविता लिखी थी. हालांकि, उनकी यह रचना कविता के रूप में व्यंग्य आैर आलोचना अधिक है, लेकिन उनकी यह कविता […]

नयी दिल्ली : दुष्यंत कुमार हिंदी साहित्य के महान आैर चर्चित कवि आैर आलोचकों में शुमार हैं. उन्होंने कर्इ साल पहले ‘मत कहो आकाश में कोहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है.’ एक कविता लिखी थी. हालांकि, उनकी यह रचना कविता के रूप में व्यंग्य आैर आलोचना अधिक है, लेकिन उनकी यह कविता दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण आैर घने कोहरे के बीच आज भी मौजूं है. वजह साफ है कि दिल्ली आैर उसके आसपास के इलाके में बढ़ने वाला यह यह घना कोहरा वायु प्रदूषण की वजह से कहर बरपा रहा है. इस समय दिल्ली आैर उससे सटे पंजाब, हरियाणा आैर उत्तर प्रदेश में धान की फसल कटने के बाद किसान उसकी पुआल को जला रहे हैं, जिसके धुंए का असर दिल्ली आैर उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिल रहा है.

इसे भी पढ़ेंः घने कोहरे की गिरफ्त में उत्तर भारत, ‘विजिबिलिटी’ ना होने के कारण ट्रेन-विमान सेवा प्रभावित

किसानों की आेर से धान की पुआल जलाने के बाद वातावरण में तो आज उसका धुंआ पसर रहा है, लेकिन जरा याद कीजिए. जरा याद कीजिए कि बीते नौ अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से पहले दिल्ली में पटाखों को लेकर क्या आदेश दिया था आैर उसके इस आदेश की देश, समाज आैर शासन-प्रशासन के लोगों ने किस तरह से खिल्ली उड़ार्इ थी आैर उसके आदेशों की अवहेलना करते हुए दिवाली पर पटाखे फोड़ने आैर बेचने के लिए उकसाया जा रहा था. लोगों ने पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की आेर से लगाया जाने वाला यह बैन कोर्इ नया नहीं था. इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2016 को दिवाली के मौके पर दिल्ली आैर उसके आसपास के इलाकों में पटाखे फोड़ने आैर बेचने पर रोक लगायी थी.

जब सुप्रीम कोर्ट ने राेक लगायी, तो लोगों ने उसकी इस रोक काे सांप्रदायिकता के रंग में रंग दिया, मगर आज दिल्ली आैर उसके आसपास में फैले वायु प्रदूषण की वजह से छाने वाले घने कोहरे का ठीकरा किसानों पर फोड़ रहे हैं. मजे की बात यह है कि करीब एक महीना पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के मौके पर दिल्ली को वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान को देखते हुए पटाखों पर राेक लगायी थी, आज किसानों के पुआल जलाने को लेकर एनजीटी वही काम कर रहा है.

दिल्ली आैर उसके आसपास के इलाकों में फैल रहे वायु प्रदूषण आैर बढ़ रहे कोहरे के कहर पर यह कहा जा रहा है कि पंजाब और हरियाणा में किसान लगातार पुआल जला रहे हैं, जिसका धुंआ दिल्ली तक आ रहा है और ये धुआं आसमान में जाकर ठहर गया है. इस धुंए का संपर्क नमी से हो रहा है जिससे जहरीली गैस बन रही और दिल्ली-एनसीआर गैस का चैंबर बन गया है. जहरीली हवा फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही है.

वहीं, एनजीटी ने पुआल जलाने पर रोक लगा रखी है. बावजूद इसके किसान रुक नहीं रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दोनों राज्य के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए बैठक करने की मांग की है. दिल्ली की हवा इस कदर जहरीली हो गयी है कि उसका अंदाजा लगा पाना कठिन है. कहा यह जा रहा है कि अगर आदमी एक बार सांस लेता है, तो इसका मतलब यह हुआ कि वह एक साथ 22 सिगरेट का धुंआ पी रहा है.

इस बीच, दिल्ली में बने घने कोहरे के बीच राज्य सरकार ने लोगों को घरों में ही दुबके रहने की सलाह दी है. इसके साथ ही, बाहर निकलने वालों से सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का इस्तेमाल करने की अपील की गयी है. दिल्ली में कोहरे के कहर को कम करने के लिए दिल्ली के बाॅस के तौर पर केंद्र सरकार की आेर से नियुक्त उपराज्यपाल ने कई उपायों को मंजूरी दी है.दिल्ली में बाहरी ट्रकों की एंट्री पर रोक लगा दी गयी है. इतना ही नहीं, दिल्ली में चल रहे निर्माण के काम को रोकने का भी आदेश दे दिया गया है.

इसके साथ ही, तीनों नगर निगमों को सड़कों की सफाई और सड़कों पर पानी के छिड़काव करने का आदेश दिया है. इसके अलावा, गाड़ियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए पार्किंग चार्ज में चार गुना से ज्यादा का इजाफा कर दिया गया है आैर दिल्ली सरकार में ऑड ईवन लागू करने पर गुरुवार को फैसला किया जा सकता है.

अब सवाल यह पैदा होता है कि अगर लोग दिवाली के समय से ही चेत जाते आैर पटाखों पर लगी रोक को मानने के लिए तथा इन पटाखों की वजह से फैलने वाले वायु प्रदूषण की भयावहता भांपते हुए जागरूकता फैलाने का काम करते, तो आज यह नौबत तो नहीं आती. एेसे में यदि यह कहा जाए कि दुष्यंत कुमार ने सालों पहले जो लिखा था, वह आज भी मौजूं है, तो बेजा नहीं होगा.

जरा आप भी दुष्यंत कुमार की उस पूरी रचना से अवगत हो जायें…

‘मत कहो आकाश में कोहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है.

सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह का,
क्या कारोगे सूर्य का क्या देखना है.

हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था,
शौक से डूबे जिसे भी डूबना है.

दोस्तों अब मंच पर सुविधा नहीं है,
आजकल नेपथ्य में संभावना है.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें