संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मंगलवारको म्यांमार पर दबाव बनाते हुए उससे रखाइन प्रांत में अपनी सैन्य कार्रवाई पर लगाम लगाने और मुस्लिम रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने का आह्वान किया है. संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय शक्तिशाली परिषद ने एक सर्वसम्मत बयान में मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए अपनी एजेंसियों एवं उनके सहयोगियों की सुरक्षित, निर्बाध पहुंच की मांग भी की है. ब्रिटेन और फ्रांस ने पिछले माह प्रस्तुत किये अपने मसौदा प्रस्ताव को लागू करने पर जोर नहीं दिया क्योंकि चीन ने इसके खिलाफ अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करने का संकेत दिया था. चीन म्यांमार की पूर्व जुंटा सरकार का समर्थक है.
परिषद ने सर्वसम्मति से एक औपचारिक बयान पर सहमति व्यक्त की. करीब एक दशक में ऐसा तीसरी बार हुआ है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने म्यांमार पर अपने अध्यक्ष के बयान को स्वीकृति दी है. बौद्ध बहुसंख्यकवाले म्यांमार में सुरक्षा बलों के कथित अत्याचारों से 6,00,000 लाख से अधिक रोहिंग्या मुस्लमान सीमा पार कर बांग्लादेश जाने को मजबूर हो गये. रखाइन प्रांत में यह संकट देश की पुलिस चौकियों पर हुए घातक हमलों के बाद उत्पन्न हुआ. इन हमलों के आरोप नव गठित आतंकी समूह, अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) पर लगाये गये थे.
सैन्य कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गये और गांवों में आग लगाने और रोहिंग्या लोगों को वहां से बेदखल करने के आरोप भी बड़े पैमाने पर लगाये गये. म्यांमार के अधिकारियों का कहना है कि सैन्य कार्रवाई का लक्ष्य रोहिंग्या उग्रवादियों को खदेड़ना है. साथ ही उन्होंने लगातार आम नागरिकों को निशाना बनाने के आरोपों को खारिज किया है. पीड़ितों, चश्मदीदों और शरणार्थियों ने इस बात का विरोध किया है. संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के उप राजदूत जोनाथन एलेन ने कहा, मानवीय स्थिति निराशाजनक है. उन्होंने कहा, हम म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को इस दिशा में कदम उठाता देखने के लिए उत्साहित हैं.