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विनय व अभय के शव पहुंचते ही सभी की आंखें हुईं नम

सीवान/सिसवन : लखनऊ-आगरा हाइवे पर कन्नौज जिले के सौरिक थाना अंतर्गत एनसीसी प्लांट के पास दुर्घटना में तार में आग लगने से मौत के शिकार बने चैनपुर ओपी निवासी त्रिलोकी सिंह के बेटों विनय और अभय के शव सोमवार की सुबह उनके गांव मेंहदार पहुंचे. शवों के पहुंचते ही वहां जनसैलाब उमड़ पड़ा. परिजनों के […]

सीवान/सिसवन : लखनऊ-आगरा हाइवे पर कन्नौज जिले के सौरिक थाना अंतर्गत एनसीसी प्लांट के पास दुर्घटना में तार में आग लगने से मौत के शिकार बने चैनपुर ओपी निवासी त्रिलोकी सिंह के बेटों विनय और अभय के शव सोमवार की सुबह उनके गांव मेंहदार पहुंचे. शवों के पहुंचते ही वहां जनसैलाब उमड़ पड़ा. परिजनों के चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया था. अपने दोनों बेटों की सड़क हादसे में मौत की सूचना पर त्रिलोकी सिंह रविवार को कन्नौज पहुंच गये थे.

वहां से पोस्टमार्टम की कार्रवाई के बाद अपने दोनों बेटों के शवों को लेकर सुबह अपने गांव मेंहदार पहुंचे. अपने दोनों चिरागों की मौत के बाद त्रिलोकी टूट से गये हैं. मेंहदार में उनके घर पर सांत्वना देने वालों का जमावड़ा लगा था. विनय व अभय का अंतिम संस्कार सिसवन सरयू नदी के घाट पर किया गया. अपने बेटे को मुखाग्नि त्रिलोकी सिंह ने दी. मालूम हो कि रविवार के अहले सुबह कन्नौज जिले के सौरिक थाना अंर्तगत आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर डिवाइडर से तेज गति की कार के टकराने से छह लोगों की मौत हो गयी थी. इनमें गोपालगंज के चार व सीवान के मेंहदार गांव के विनय व अभय शामिल थे.

कन्नौज पुलिस ने प्राप्त मोबाइल के अाधार पर उनके पिता त्रिलोकी सिंह को सूचना दी थी. दीवाली में घर आये दोनों भाई अपने मित्र की कार से शनिवार की सुबह दिल्ली के लिए निकले थे. वहां रास्ते में ही इनकी मौत हो गयी थी. मेंहदार के साथ ही सिसवन घाट पर अंत्येष्टि के दौरान चैनपुर ओपी थानाध्यक्ष वीरेंद्र राम मौजूद रहे.

भगवान को कोसती हुईं भाइयों के शवोंं से लिपट कर रोये जा रही थीं सातों बहनें : सीवान. चैनपुर ओपी के मेंहदार निवासी त्रिलोकी सिंह अपने दो बेटों का शव लेकर सोमवार की अहले सुबह अपने गांव पहुंचे. शव पहुंचते ही वे दहाड़ मारकर रोने लगे. यूपी के कन्नौज के सौरिक थाना अंतर्गत आगरा-लखनऊ वे पर सड़क दुर्घटना में उनके दोनों बेटे विनय सिंह व अभय सिंह की मौत हो गयी थी.
इनके शव पहुंचते ही परिजनों में चीत्कार मच गया. मची चीख पुकार से वहां मौजूद सभी ग्रामीणों की आंखें नम थीं. वहां मौजूद लोग अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे. अपने दो जवान बेटों को खोने के गम में मां बेसुध पड़ी थी. रात भर घर से रोने की सिसकियां व चीत्कार पूरे वातावरण को शोकाकुल कर रही थीं. मां व बहनें शव के इंतजार में रात भर दरवाजे पर टकटकी लगाये बैठी थीं. जैसे ही दोनों के शव पहुंचे उसे अंतिम दर्शन के लिए बेटों के शव के पास ले जाया गया. वह दहाड़ मारकर रो पड़ी और बेहोश हो पड़ीं.
सातों बहनें अपने दुलारे भाइयों को खोने के गम में लगातार रोये जा रही थीं. वे भगवान को कोस रही थीं. रोती हुई कह रही थी कि आखिर हमने भगवान का क्या बिगाड़ा था कि हमारे साथ ऐसा किया. अब हमलोगों का सहारा कौन बनेगा. बहनें रोती हुईं अपने बेसुध मां को भी संभाल रही थीं. यहां का करुण दृश्य देखकर सबकी आंखें नम थीं. सब इसे काल का क्रूर मजाक बता रहे थे.
सोमवार को भी कई घरों में नहीं जले चूल्हे: रविवार को जैसे ही गांव में यह मनहूस खबर पहुंची. वहां रह-रह का उठ रहे चीत्कार के बाद मातमी सन्नाटा पसरा है.
दूसरे दिन भी वहां कई घरों में चूल्हे नहीं जले. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. रविवार को तो पूरे गांव में शोक की लहर व्याप्त थी. हर कोई स्तब्ध था.
विनय की शादी की चल रही थी बात
अपने सात बेटियों में तीन की शादी कर चुके त्रिलोकी सिंह इस साल अपने बेटे की शादी करने की तैयारी में थे. इसकी बात भी एक जगह चल रही थी. इसी माह लड़की देखने की भी तैयारी थी. इसमें परिवार जुटा था. उनकी बहनें भी अपनी होने वाली भाभी के लिए सपने बुन रही थीं. लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके दोनों भाई एक ही साथ सड़क दुर्घटना के शिकार हो जायेंगे और उनका सपना अधूरा रह जायेगा. अब तो त्रिलोकी सिंह टूट से गये हैं. उनके दोनों कमाऊ बेटे दुनिया छोड़ गये. अब उनके कंधे पर चार बेटियों की शादी की जिम्मेदारी है.
एक साथ उठीं दो अरथियां तो रो पड़ा गांव
अभय व विनय की अरथियां जैसे ही उठीं, एक बार फिर पूरा गांव रो पड़ा. परिजनों का तो रो-रो कर बुरा हाल था ही. वहां पहुंचा जनसैलाब भी अपने आंसू को नहीं रोक पा रहा था. सिसवन की सरयू नदी के तट पर इनका अंतिम संस्कार किया गया. पिता त्रिलोकी सिंह ने अपने दोनों बेटों को मुखाग्नि दी. शवयात्रा में डॉ अशोक कुमार भारती, जदयू नेता अजय सिंह, सत्येंद्र भारती, हरेंद्र तिवारी, पुण्यदेव सिंह, अरुण तिवारी, गुड्डू तिवारी कृष्ण प्रसाद, विश्वकर्मा चौहान, मनीष कुमार ओझा, आनंद कुमार, खुर्शेद अली, प्रभु जी समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए.
शनिवार को निकले थे घर से
अभय व विनय ने अपनी दिल्ली की यात्रा शुरू करने से पूर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन अहले सुबह सिसवन पहुंच कर सरयू नदी में डुबकी लगायी थी. फिर वे लोग अपने घर पहुंचे वहां सत्यनारायण भगवान का कथा कहवाने के बाद सुबह चार बजे अपने मित्र की कार से दोनों भाई दिल्ली के लिए रवाना हो गये. दोनों दीपावली में घर आये थे. छठ के बाद अखंड अष्टयाम कराकर गंगा स्नान के दिन अपने कारोबार के लिए दिल्ली के लिए रवाना हुए थे. लेकिन रास्ते में ही सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी.

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