दरअसल, रविवार को दोपहर एक बजे वृद्ध सुनील बनर्जी अपने परिजनों के साथ त्रिकुट पहाड़ आये थे, उनके परिजन रोप-वे से ऊपर गये, लेकिन उन्होंने मना कर दिया व खुद आश्रम होते हुए पैदल ऊपर चढ़ गये. शाम में जब परिजन लौटे तो श्री बनर्जी को नीचे नहीं पाया, खोजबीन में पता चला कि एक वृद्ध अकेले पहाड़ चढ़ रहे थे. अंधेरा होने पर पुलिस को सूचना दी गयी.
सूचना मिलते ही मोहनपुर थाना प्रभारी दीपक कुमार वृद्ध को खोजने खुद निकल गये, उनके साथ रोप-वे के एएसआइ कौशलेंद्र कुमार, सहायक प्रबंधक कन्हैया लाल कॉपरी समेत स्थानीय निवासी भूदेव, उत्तम व योगेंद्र भी गये. पुलिस वृद्ध को आवाज लगाते-लगाते पहाड़ की चोटी होते हुए अंतिम छोर तक पहुंच गयी, इसी क्रम में सुनायी देने पर वृद्ध ने बांग्ला में आवाज लगायी आमी ऐथा आछी…ऐथा आछी… पुलिस ने टार्च जलाकर देखा कि सफेद कपड़े में श्री बनर्जी एक पेड़ पर चढ़कर बैठे हैं, किसी तरह थाना प्रभारी ने उन्हें पेड़ से उतारकर सुरक्षित अपने कब्जे में लिया व पानी पीलाकर पहले उनके साथ सेल्फी ली. रात 11 बजे जब पुलिस वृद्ध को लेकर नीचे उतरने का प्रयास करने लगी तो रास्ता ही नहीं मिलने लगा, पहाड़-पत्थर व घने जंगल में कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. जंगल में फंसे सभी लोग त्रिशुली माई मंदिर के ठीक सीधे करीब एक हजार फीट उंचे पहाड़ पर फंसे थे. उंचाई इतनी थी कि उपर से नीचे का नजारा बिल्कुल सीधा दिख रहा था, जिससे एक कदम भी आगे बढ़ना खतरा हो सकता था. पुलिस रात 11 बजे तक अंधेरा व रास्ता नहीं मिलने पर टस से मस नहीं हो पा रही थी. देर रात तक सभी नीचे उतरने का प्रयास में लगे थे.