नयी दिल्ली : लेखिका कृष्णा सोबती को वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गयी है. साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने देश का यह सर्वोच्च सम्मान है. ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने आज बताया कि वर्ष 2017 के लिए दिया जाने वाला 53वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर कृष्णा सोबती को साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि पुरस्कार चयन समिति की बैठक में कृष्णा सोबती को वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय किया गया. पुरस्कार स्वरुप कृष्णा सोबती को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न प्रदान किया जायेगा.
इससे पहले वर्ष 1980 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. यह पुरस्कार उन्हें ‘जिंदगीनामा’ के लिए दिया गया था. वर्ष 1996 में उन्हें साहित्य अकादमी का फेलोशिप भी मिल चुका है.
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इनका जन्म अविभाजित भारत के गुजरात (अब पाकिस्तान) में 18 फरवरी 1925 में हुआ था. उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘मित्रो मरजानी’, ‘डार से बिछुरी’, ‘सूरजमुखी अंधेरे की, यारों का यार और जिंदगीनामा है. इनकी रचनाओं का अनुवाद कई भाषाओं में हो चुका है.