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डीडीइ में 15 कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति, वीसी आवास पर हंगामा

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में अवैध रूप से 15 कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद गुरुवार देर रात छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया. विवि कर्मचारी संघ के सचिव व कुलपति के आवास पर घंटों छात्रों का जमावड़ा लगा रहा. कुलपति आवास का गेट नहीं खुलने के कारण […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में अवैध रूप से 15 कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद गुरुवार देर रात छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया. विवि कर्मचारी संघ के सचिव व कुलपति के आवास पर घंटों छात्रों का जमावड़ा लगा रहा. कुलपति आवास का गेट नहीं खुलने के कारण उन्हें बिना वार्ता के ही लौटना पड़ा.

छात्राें ने नियम की अनदेखी कर बिना प्रक्रिया पूरी किए नियुक्ति करने और यूजीसी को सूची भेजने का आरोप लगाया. रात में हुजूम बनाकर पहुंचे छात्र विवि कर्मचारी संघ के सचिव गौरव कुमार के आवास के बाहर हंगामा करने लगे, तो आसपास के लोग जुट गए. छात्रों का कहना था कि विवि के कारनामे का कागजात भी उनके पास मौजूद है. छात्रों से बातचीत के बाद सचिव गौरव कुमार कुछ लोगों के साथ मामले की जानकारी के लिए कुलपति के आवास पर पहुंचे, लेकिन गेट नहीं खुलने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा. सचिव ने बताया कि छात्रों ने कुलपति आवास के बाहर भी हो-हल्ला मचाया है. शुक्रवार को कुलपति व रजिस्ट्रार से मिलकर मामले की जांच का आग्रह करेंगे.
एक ही पत्रांक से कर दी नियुक्ति
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का करीब डेढ़ करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है. यूजीसी से इसके लिए स्टॉफ का मानक निर्धारित है. 31 अक्तूबर को विवि ने निदेशालय की रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड की है, जिसमें कर्मचारियों की अवैध तरीके से नियुक्ति का मामला सामने आया है. कहा जा रहा है कि एक ही लेटर (डीडीइसी/1084) से सभी की नियुक्ति दिखायी गयी है. उनके नाम के सामने तीन साल का अनुभव भी बताया गया है. इसमें आठ रूटीन क्लर्क, दो डाटा इंट्री ऑपरेटर व पांच चपरासी हैं.
बताते हैं कि निदेशालय में निर्धारित 13 कर्मचारियों की नियुक्ति पहले से हैं. इसके अलावा अाउटसोर्सिंग के भी पांच कर्मचारी हैं. यूजीसी को भेजी गयी रिपोर्ट में एडमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ के रूप में 33 कर्मचारियों का नाम दिया गया है. कुलपति की ओर से यूजीसी की वेबसाइट पर शपथ पत्र भी है, जिसमें सभी सूचना सही होने की बात कही है. आरोप है कि नियमों की अनदेखी करते हुए 15 कर्मचारियों की नियुक्ति कर ली गयी है. इसके लिए न तो नियम का पालन किया गया, न ही विवि ने किसी तरह का विज्ञापन प्रकाशित कराया.

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