नयी दिल्ली : तेज गेंदबाज आशीष नेहरा को एक सच्चा दोस्त और प्रेरणास्रोत बताते हुए चैम्पियन क्रिकेटर युवराज सिंह ने उनके क्रिकेट से संन्यास लेने को अपने लिये जज्बाती पल बताया. युवी ने उनसे जुड़ी कई पुरानी यादें साझा की है. युवराज ने अपने फेसबुक पेज पर नेहरा के साथ जुड़ी अपनी यादों का पिटारा और कई पुराने राज भी खोले.
उन्होंने लिखा , सौरव गांगुली ने आशु को पोपट नाम दिया था क्योंकि वह लगातार बोलता रहता था. वह किसी भी विषय पर बोल सकता है. अगर आप आशीष नेहरा के साथ हो तो आपका दिन खराब नहीं जा सकता. वो बंदा आपको हंसा हंसाकर गिरा देगा.
मैंने उसे कभी बताया नहीं लेकिन मैंने उससे हमेशा प्रेरणा ली है. उन्होंने लिखा , मैं सोचा करता था कि 38 बरस की उम्र में इतनी चोटों और आपरेशन के बाद यह इतनी तेज गेंद डाल सकता है तो मैं 36 बरस की उम्र में बल्लेबाजी क्यों नहीं कर सकता. इसी से मुझे आज भी प्रेरणा मिलती है. खुद कैंसर से जंग में जीतकर क्रिकेट के मैदान पर वापसी करने वाले युवराज ने लिखा, आशु के 11 आपरेशन हो चुके हैं लेकिन अपनी मेहनत और अच्छा खेलने की ललक से उसने वापसी की.
विश्व कप 2003 के दौरान उसका टखना बुरी तरह से मुड़ गया था और वह इंग्लैंड के खिलाफ अगला मैच खेलने की स्थिति में नहीं था लेकिन नेहरा जी ने कहा कि वह खेलना चाहते हैं. उसने अगले 72 घंटे में 30-40 बार अपने टखने पर बर्फ की सिकाई की और पेनकिलर खाये. उस मैच में उसने 23 रन देकर छह विकेट लिये और भारत ने इंग्लैंड को 82 रन से हराया. उन्होंने नेहरा के बेबाक रवैये की तारीफ करते हुए कहा कि वह बनावटी नहीं है और इसका उसने खामियाजा भी भुगता.
उन्होंने लिखा, वो दिल का बहुत साफ आदमी है. सेलिब्रिटीज के बारे में आकलन करने के कई मानदंड होते हैं लेकिन आशु बेबाक सच बोलता था और इसका उसने खामियाजा भी भुगता. मेरे लिये वह हमेशा आशु या नेहरा जी रहेगा जो दिलचस्प, ईमानदार और टीम भावना से भरा हुआ है. उन्होंने नेहरा से पहली मुलाकात भी भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा, मैं पहली बार उससे अंडर 19 के दिनों में मिला जब उसका भारतीय टीम में चयन हुआ था. वह हरभजन सिंह का रुममेट था.
मैं भज्जी से मिलने गया था और मैने इस लंबे , छरहरे लड़के को देखा जो एक जगह चुपचाप नहीं बैठ सकता था. हमेशा कुछ ना कुछ करता रहता. बाद में जब हमने साथ खेला तो मैने उसे और करीब से जाना. युवराज ने कहा कि नेहरा पूरी तरह से टीम मैन है और विश्व कप 2011 में इसकी एक और बानगी देखने को मिली. उन्होंने लिखा , विश्व कप 2011 सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ उसने उम्दा गेंदबाजी की लेकिन घायल हो गया और फाइनल नहीं खेल सका.
मैं जानता हूं कि ऐसी स्थिति में कई खिलाड़ी अपने में सिमट जाते या इसका रोना रोने लगते. लेकिन वह हमेशा हंसता रहता और सभी की मदद को तत्पर रहता. युवराज ने लिखा , मुंबई में श्रीलंका के खिलाफ फाइनल के दौरान वह ड्रिंक्स, टावेल वगैरह का इंतजाम कराता. बाहर वालों को यह गैर जरुरी बात लगेगी लेकिन टीम खेल में जब सीनियर खिलाड़ी इस तरह मदद करता है तो बहुत अच्छा लगता है. उन्होंने आखिर में लिखा, मेरे लिये यह जज्बाती पल है और उसके तथा उसके परिवार के लिये भी. मैं क्रिकेट का शुक्रगुजार हूं कि मुझे ऐसा सच्चा दोस्त दिया.