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महापुरुषों के नाम का इस्तेमाल

महापुरुषों के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल करना पुरानी परंपरा है. लेकिन वर्तमान में चुनाव जीतने के लिए ऐसे प्रपंच रचे जा रहे हैं. अभी सरदार पटेल की जयंती मनाना इसी परंपरा की एक कड़ी लगती है. गुजरात चुनाव को देखते हुए भाजपा ने इसे उत्सव की तरह मनाया, तो कांग्रेस सहित अन्य दल भी पीछे […]

महापुरुषों के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल करना पुरानी परंपरा है. लेकिन वर्तमान में चुनाव जीतने के लिए ऐसे प्रपंच रचे जा रहे हैं. अभी सरदार पटेल की जयंती मनाना इसी परंपरा की एक कड़ी लगती है. गुजरात चुनाव को देखते हुए भाजपा ने इसे उत्सव की तरह मनाया, तो कांग्रेस सहित अन्य दल भी पीछे नहीं रहे. पटेल जयंती के मंच को राजनीतिक रूप दिया गया. दोनों पार्टी पटेलजी को अपना बताते हुए एक दूसरे की खिंचाई करते दिखे.
कितने ही नेताओं ने इससे इतर जाकर यह कहा कि अगर पटेल प्रधानमंत्री होते तो देश में समस्याएं कम रहतीं. इन महान स्वतंत्रता सेनानियों पर किसी दल को नहीं वरण पूरे देश को फख्र करने का हक है. इन्हें किसी राजनीतिक दल से जोड़कर नहीं रखा जा सकता है.
देश के और भी कई महापुरुष हैं, उनकी जयंती भी धूमधाम से क्यों नहीं मनायी जाती है? इसका सीधा जवाब यह है कि राजनीतिक दल उन्हीं इतिहास पुरुषों की जयंती मनाना चाहते हैं जिनका इस्तेमाल कर वोट प्राप्त कर सकें. सभी राजनीतिक दलों से आग्रह है कि महापुरुषों के नाम का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ लेने के लिए न करें, यही इनके लिए सच्ची श्रद्धा होगी.
धीरज कुमार, रांची

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