भागलपुर : शहर के निजी अस्पतालों में सर्जरी का धंधा चोखा है. यहां पर मरीज आते हैं सर्जरी के जरिये अपने दुख से पार पाने. लेकिन शहर के निजी हॉस्पिटल मरीजों के जेब की सर्जरी कर दे रहे हैं. निजी अस्पताल मरीजों से सर्जिकल आइटम के लिए मनमाना पैसा वसूलते हैं. अस्पताल सर्जिकल आइटम बनानेवाली कंपनियों से रेट कॉन्ट्रैक्ट करते हैं. इस कारण उन्हें मामूली कीमत में सर्जिकल आइटम मिल जाते हैं. इसके बाद अस्पताल मरीजों से इनके एमआरपी के आधार पर पैसे वसूलते हैं. सर्जिकल आइटम पर लिखा एमआरपी उसकी वास्तविक कीमत से आठ गुना से भी अधिक होता है.
इस तरह शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल सर्जिकल के जरिये हर माह करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. भागलपुर शहर में आज की तारीख में 55 हॉस्पिटल हैं, इनमें से एक बड़ा हॉस्पिटल है. इस संवाददाता ने जब निजी अस्पतालों से खरीदे गये सर्जिकल आइटम के बिल का मुआयना किया, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. पड़ताल में पाया गया कि अस्पताल अपने यहां भरती मरीजों से सर्जिकल आइटम के लिए खुदरा विक्रेताओं से भी अधिक पैसे ले रहे हैं.
एक बड़े निजी अस्पताल में आइवी कैनुला के लिए मरीज से 112 रुपये लिये गये, जबकि थोक में इसकी कीमत मात्र 20 रुपये है. वहीं, निजी अस्पतालों को यही आइवी कैनुला सीधे कंपनी से 15 से 16 रुपये में मिल जाता है. इस तरह निजी अस्पताल सिर्फ आइवी कैनुला पर करीब आठ गुना तक मुनाफा कमाते हैं. यही नहीं, निजी अस्पताल 40 रुपये के यूरिन बैग के बदले मरीजों से 120 से 125 रुपये तक वसूलते हैं. इस तरह यूरीन बैग पर उन्हें 300 फीसदी तक मुनाफा मिल रहा है. अस्पताल थोक में 20 रुपये में ग्लब्स खरीदते हैं, जो मरीजों को 250 फीसदी से अधिक मार्जिन पर 52 से 53 रुपये में उपलब्ध कराते हैं.