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मुखौटा कंपनियों के बाद मोदी सरकार के रडार पर एलएलपी कंपनियां

नयी दिल्लीः कालेधन को लेकर मुखौटा कंपनियों पर सख्ती के बाद अब सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) समेत अन्य कंपनियां भी सरकार के रडार पर हैं. मीडिया में आ रही खबरों की मानें, तो नोटबंदी के बाद जिन सक्रिय कंपनियों खातों में नकदी रकम जमा करायी गयी है, उन सभी कंपनियों की जांच होगी. बताया जा […]

नयी दिल्लीः कालेधन को लेकर मुखौटा कंपनियों पर सख्ती के बाद अब सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) समेत अन्य कंपनियां भी सरकार के रडार पर हैं. मीडिया में आ रही खबरों की मानें, तो नोटबंदी के बाद जिन सक्रिय कंपनियों खातों में नकदी रकम जमा करायी गयी है, उन सभी कंपनियों की जांच होगी. बताया जा रहा है कि कारोबार सुगमता को बढ़ाने के लिए संसद की शीतकालीन सत्र पारित किये जाने वाले कंपनी कानून-2017 में करीब 93 नये बदलाव किये जायेंगे. इस बदलाव में कालेधन को बढ़ावा देने वाली कंपनियों पर की जाने वाली कार्रवार्इ को लेकर भी नये नियम जोड़े जायेंगे.

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सीएनबीसी-आवाज को दिये साक्षात्कार में कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने नोटबंदी के बाद सक्रिय कंपनियों के खाते में जमा की गयी रकम की जांच होगी. इसके अलावा, कारोबारी सुगमता के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में कंपनी कानून-2017 पास किया जायेगा. उन्होंने कहा कि कंपनी कानून में 93 नये बदलाव किये जायेंगे. पीपी चौधरी ने आगे कहा कि कालेधन पर शिकंजा कसने के प्रयास के तहत 2.57 लाख मुखौटा कंपनियों को नोटिस भेजी गया है. नोटिस का जवाब नहीं देने पर इन कंपनियों पर कार्रवार्इ की गयी है.

उन्होंने कहा ककि नोटबंदी के बाद इन कंपनियों के खातों में पैसे जमा हुए थे. टेरर फंडिंग, ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग के लिए मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि दो लाख में से 102 कंपनियों के खिलाफ एनसीएलटी में केस दायर किया गया है. मुखौटा कंपनियों के डाटा माइनिंग का तरीका बदला जायेगा. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल होगा. अभी तक सीए, सीएस के खिलाफ कोई मामला नहीं बना है. मुखौटा कंपनियों को लोन देने वाले बैंकों की भी जांच होगी.

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