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157 वर्ष से चल रही ”बाबू गाड़ी” का आज थम जायेगा पहिया, 8 फरवरी, 1862 को अंग्रेजी हुकूमत ने चलायी थी ट्रेन

शुभंकर ‍@ सुलतानगंज मालदा रेल डिवीजन ने सुलतानगंज-जमालपुर के बीच 157 वर्षों से चलनेवाली बाबू गाड़ी को आज बुधवार से नहीं चलेगी. बाबू गाड़ी (श्रमिक ट्रेन) का परिचालन अंग्रेजी हुकूमत ने 8 फरवरी, 1862 में शुरू किया था. जमालपुर रेल कारखाना में काम करनेवाले श्रमिकों को समय पर कारखाना पहुंचाने के लिए यह ट्रेन चलायी […]

शुभंकर ‍@ सुलतानगंज

मालदा रेल डिवीजन ने सुलतानगंज-जमालपुर के बीच 157 वर्षों से चलनेवाली बाबू गाड़ी को आज बुधवार से नहीं चलेगी. बाबू गाड़ी (श्रमिक ट्रेन) का परिचालन अंग्रेजी हुकूमत ने 8 फरवरी, 1862 में शुरू किया था. जमालपुर रेल कारखाना में काम करनेवाले श्रमिकों को समय पर कारखाना पहुंचाने के लिए यह ट्रेन चलायी गयी थी. उस समय 2500 से अधिक श्रमिक की संख्या होती थी, लेकिन वर्ष 2017 के आते-आते श्रमिकों की संख्या महज 250 रह जाने के कारण बाबू गाड़ी को बंद करने का निर्णय किया गया है. ट्रेन का परिचालन सुबह-शाम सुलतानगंज-जमालपुर के बीच होती थी. बाबू गाड़ी को बंद करने के निर्णय से श्रमिकों में मायूसी देखी जा रही है. यह ट्रेन क्षेत्र में ‘कुली गाड़ी’ के नाम से जाना जाता था.

मंगलवार की देर शाम सुलतानगंज स्टेशन पर बाबू गाड़ी का दर्शन करने के लिए लोगों की काफी भीड़ जुटी थी. लोग गाड़ी के साथ यादगार के लिए सेल्फी ले रहे थे. रेल कारखाना के सेवानिवृत्त श्रमिक चंद्रेश्वरी चौधरी, धनेश्वर प्रसाद यादव, महेश्वरी महतो ने बताया कि श्रमिको के लिए यह बहुत ही सुविधाजनक ट्रेन थी. बाबू गाड़ी से सैकड़ों श्रमिकों के साथ यात्रा का अनुभव आज भी याद है. बंद करने से वर्त्तमान में काम करने वाले श्रमिकों को थोड़ी परेशानी होगी.

कहते हैं स्टेशन प्रबंधक

सुलतानगंज के स्टेशन प्रबंधक इंदु कुमार ने बताया कि श्रमिकों की संख्या काफी घट गयी. रेल विभाग को राजस्व की हानि हो रही थी. मालदा डिवीजन का बाबू गाड़ी का परिचालन को बंद करने का निर्णय है. इस ट्रेन को बंद कर दिये जाने से यात्रियों को परेशानी नहीं होगी. पूर्व की अपेक्षा में अब बहुत ज्यादा उक्त समय पर ट्रेन का परिचालन हो रही है.

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