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बिहार महादलित विकास मिशन में बड़े घोटाले से जुड़ी 15 बड़ी बातें, जानकर हो जायेंगे हैरान

पटना : बिहार के भागलपुर में हुए सृजन घोटाले के बाद सूबे में एक और घोटाला सामने आ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शुरू किये गये महादलित विकास योजना में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है.निगरानी विभाग ने महादलित विकास मिशन से जुड़े तीन IAS अधिकारियों सहित 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली […]

पटना : बिहार के भागलपुर में हुए सृजन घोटाले के बाद सूबे में एक और घोटाला सामने आ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शुरू किये गये महादलित विकास योजना में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है.निगरानी विभाग ने महादलित विकास मिशन से जुड़े तीन IAS अधिकारियों सहित 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गयी है. यह मामला महादलित विकास मिशन में ट्रेनिंग घोटाले के रूप में सामने आया है. इस मामले की शिकायत निगरानी विभाग को 2016 में मिली थी. जांच के बाद निगरानी विभाग ने एफआईआर दर्ज की है. आइए जानते हैं, इससे जुड़ी 20 बड़ी बातें-

-बिहार दलित विकास मिशन में हुए ट्रेनिंग घोटाला मामले में तीन आईएएस अधिकारी समेत दस लोगों पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद मुख्य आरोपित आइएएस एसएम अपने विभाग और आवास से गायब हो गये हैं. सामान्य प्रशासन विभाग ने आइएएस एसएम राजू को उपस्थित होकर नोटिस लेने और जवाब देने का निर्देश दिया है.

-साथ ही विभाग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वह उपस्थित नहीं होते हैं, तो विभाग एकतरफा कार्रवाई करेगा.मालूम हो कि एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप में आइएएस एसएम राजू को निलंबित कर दिया गया है. उसके बाद से न तो वह कार्यालय आ रहे हैं और न ही सरकारी आवास पर हैं.

-बिहार दलित विकास मिशन में ट्रेनिंग घोटाले की शिकायत वर्ष 2016 में निगरानी ब्यूरो को मिली थी. इसमें अब तक चार करोड़ 25 लाख रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी सामने आ चुकी है. आशंका जतायी गयी है कि राशि और भी ज्यादा हो सकती है.

-निगरानी की जांच में दोषी पाये जाने के बाद एसएम राजू समेत दो आइएएस और अन्य सात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. मामले में एससी-एसटी कल्याण विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एसएम राजू को भी मुख्य अभियुक्त बनाया गया है. एसएम राजू एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले में भी मुख्य अभियुक्त हैं और वर्तमान में फरार चल रहे हैं.

-अन्य दो आइएएस अधिकारी तत्कालीन सचिव रवि मनुभाई परमार और मिशन के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक निदेशक केपी रमैय्या शामिल हैं. केपी रमैय्या ने आईएएस के पद से वीआरएस ले लिया है. वर्तमान में वह बिहार भूमि न्याय अधिकरण में सदस्य (प्रशासनिक) के पद पर हैं. इन तीन आईएएस के अलावा एक प्रोन्नत आईएएस रामाशीष पासवान तथा मिशन के अन्य अधिकारियों और निजी एजेंसी शामिल हैं.

-सभी आरोपितों के खिलाफ जालसाजी, फरेबी, धांधली, घपले से जुड़ी सभी धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण निरोध अधिनियम की दो अहम धाराओं 120बी, 13(2)डी और 13(1)डी के तहत मामले दर्ज किये गये हैं.

-आरोपितों में एसएम राजू : बीडीडीएम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह तत्कालीन सचिव एससी-एसटी विभाग, रवि मनु भाई परमार : बीडीडीएम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी.

-के पी रमैय्या : बीडीडीएम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, रामाशीष पासवान : बीडीडीएम के तत्कालीन मिशन निदेशक, प्रभात कुमार : बीडीडीएम के तत्कालीन मिशन निदेशक
देवजानी कर- बीडीडीएम के राज्य परियोजना निदेशक, उमेश मांझी : बीडीडीएम के राज्य परियोजना प्रबंधक, शरद कुमार झा : निदेशक, कोलकाता स्थित ट्रेनिंग एजेंसी आईआईआईएम लिमिटेड.

-सौरभ वसु : नयी दिल्ली स्थित एसआरएनएच कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशन) जयदीप कर : जगत अमरावती अपार्टमेंट, बेली रोड (हड़ताली मोड़ के नजदीक). इसने मुख्य रूप से सेटिंग और दलाली का काम किया है. इसमें अन्य अज्ञात लोगों को भी अिभयुक्त बनाया गया है.

-बिहार राज्य महादलित विकास मिशन दलित समुदाय के छात्रों को 16 से ज्यादा ट्रेडों में कौशल विकास के तहत मुफ्त ट्रेनिंग देता है. ट्रेनिंग का पूरा खर्च राज्य सरकार देती है. इसके लिए निजी एजेंसियों का चयन किया जाता है.

– इन ट्रेनिंग कार्यक्रमों को संचालित कराने के लिए मिशन निजी एजेंसियों को कई स्तर पर निर्धारित मानकों पर इनका चयन करता है. इस पूरे मामले में हुई अब तक की जांच में तीन तरह से की गयी धांधली सामने आयी है.

-जिन ट्रेनिंग सेंटरों में दलित छात्रों का नामांकन एक जिले में किया गया है, उन्हीं छात्रों का नाम दूसरे, तीसरे और चौथे ट्रेनिंग में दर्ज करवा कर पैसे निकाल लिये गये. इस तरह एक छात्र के नाम पर कई बार रुपये निकाले लिये गये.

-इसके अलावा कई ऐसी एजेंसियों को ट्रेनिंग सेंटर दे दी गयी, जो सिर्फ कागज पर ही मौजूद हैं. इनका हकीकत में कोई अता-पता ही नहीं है. कई ऐसी एजेंसियों को भुगतान कर दिया गया, जिनमें कभी कोई ट्रेनिंग हुई ही नहीं है.

– इस तरह से पूरे ट्रेनिंग कार्यक्रमों को कागजी तौर पर संचालित करके सवा चार करोड़ से ज्यादा सरकारी राशि का गबन किया गया है, जिसमें बड़े अधिकारी से लेकर सभी स्तर के सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत है.

-जांच में अभी कई लोगों के नाम सामने आने और घोटाले की राशि बढ़ने की आशंका जतायी गयी है.

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