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इमरजेंसी से गायब रहे डॉक्टर, कराहते रहे मरीज

गोपालगंज : सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड. रविवार दिन के 8.20 बज रहे थे. डॉक्टर गायब थे. मरीज कराह रहे थे. इस बीच दर्द से कराते हुए डेढ़ वर्ष का मासूम मां की गोद में इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा. मासूम को कराहते देख मां इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर-डॉक्टर चिल्ला रही थी. इमरजेंसी का कंपाउंडर महिला […]

गोपालगंज : सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड. रविवार दिन के 8.20 बज रहे थे. डॉक्टर गायब थे. मरीज कराह रहे थे. इस बीच दर्द से कराते हुए डेढ़ वर्ष का मासूम मां की गोद में इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा. मासूम को कराहते देख मां इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर-डॉक्टर चिल्ला रही थी. इमरजेंसी का कंपाउंडर महिला की बात सुन कर देखने के लिए आगे बढ़ा. कंपाउंडर को बीमारी समझ में नहीं आयी.
इसी बीच दूसरा मरीज 8.30 बजे चंद्रगोखुल रोड से पेट में दर्द की शिकायत लेकर पहुंचा. दर्द बढ़ने पर डॉक्टर नदारद देख निजी अस्पताल में चला गया. हजियापुर से नीरज कुमार 8.35 बजे चाकू के हमले से घायल होकर पहुंचा. लहूलुहान युवक इमरजेंसी में तड़पता रहा, लेकिन डॉक्टर नहीं पहुंचे. करीब आधा घंटा बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा शुरू होने के बाद कंपाउंडरों ने घायल युवक का इलाज शुरू किया. इसके पूर्व आठ बजे ही ड्यूटी पूरी कर डॉ संजय इमरजेंसी वार्ड छोड़ चुके थे. दूसरी शिफ्ट के डॉक्टर की ड्यूटी आठ बजे से थी, लेकिन हंगामे के बाद 9.30 बजे पहुंचे. उधर, मरीज के परिजनों ने इसकी शिकायत सिविल सर्जन से करते हुए कार्रवाई करने की मांग की है.
कैसे होता है ड्यूटी में गैप : इमरजेंसी वार्ड में चार शिफ्टों में डॉक्टरों की तैनाती हर रोज रहती है. पहली शिफ्ट सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक, दूसरी शिफ्ट दोपहर से शाम छह बजे तक, तीसरी शिफ्ट शाम छह बजे से रात्रि नौ बजे तक तथा अंतिम नौ बजे से सुबह आठ बजे तक रहती है. इसमें ड्यूटी समय से खत्म होने पर डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड छोड़ देते हैं. इस बीच दूसरी शिफ्ट के डॉक्टर देर से आते हैं. इसके कारण इमरजेंसी में डॉक्टरों के बीच गैप हो जाता है और आये दिन हंगामा होता रहता है.
हमसे नहीं, डीएस से बात करें
इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी से डॉक्टर के गायब रहने के मामले में जब प्रभारी सिविल सर्जन डॉ एके चौधरी से पूछा गया, तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए जिम्मेदारी हटा ली. सीएस ने दो टूक शब्दों में कहा कि डॉक्टर के संदर्भ में उपाधीक्षक से बात की जाये. वैसे मैं प्रयास करता हूं, किसी डॉक्टर को इमरजेंसी में भेजा जाये.
डॉ एके चौधरी, सीएस

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