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झारखंड : जानें…पेट पर डेढ़ किलो का कौन सा बीमारी लिये घूम रहा है अंजीत

सरायकेला : प्रखंड के कांदागोड़ा गांव में रहनेवाले आठ वर्षीय अंजीत पुरती के पेट पर उसके सिर के आकार का पिंड निकल आया है. पेट के ऊपर करीब डेढ किलो के झूलते गोले के कारण अंजीत न सामान्य जीवन जी पा रहा है न ही सामान्य बच्चों जैसा उसका विकास हो पा रहा है. डॉक्टर […]

सरायकेला : प्रखंड के कांदागोड़ा गांव में रहनेवाले आठ वर्षीय अंजीत पुरती के पेट पर उसके सिर के आकार का पिंड निकल आया है. पेट के ऊपर करीब डेढ किलो के झूलते गोले के कारण अंजीत न सामान्य जीवन जी पा रहा है न ही सामान्य बच्चों जैसा उसका विकास हो पा रहा है. डॉक्टर इसे नाभि हर्निया का लक्षण बताते हैं. गरीबी के कारण परिवार अंजीत का इलाज नहीं करवा पा रहा है.
अंजीत की मां शांति पुरती बताती है कि जन्म के समय अंजीत सामान्य बच्चों की तरह ही था, लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी नाभि के पास एक गोला उभरा दिखा जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए इतना बड़ा हो गया. पेट पर गोला निकले होने के कारण स्कूल में दूसरे बच्चे अंजीत को चिढ़ाते हैं, इसलिए वह स्कूल जाना नहीं चाहता. शांति ने बताया कि पेट पर बढ़ते गोले को एक वर्ष पूर्व जब सरायकेला सदर अस्पताल के चिकित्सकों को दिखाया गया तो वहां ऑपरेशन की जरूरत बताते हुए उसे एमजीएम अस्पताल (जमशेदपुर) रेफर कर दिया.
परिजनों के पास जमशेदपुर जाने के लिए भी पैसे नहीं थे जिसके कारण इलाज नहीं हो सका. अंजीत का पिता मंगल पुरती मजदूरी करता है जबकि मां शांति पुरती व बड़ा भाई बुधू पत्थर तोड़कर परिवार चलाने में मंगल की मदद करते हैं. गरीबी व बच्चे की बीमारी से जूझ रहे इस परिवार की सहायता के लिए कोई जनप्रतिनिधि या स्वयंसेवी संस्था नहीं आयी है. तीन अन्य बच्चों को भी पेट फुलने की बीमारी
मंगल पुरती के कुल पांच बच्चों में से चार बच्चे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं. अंजीत को छोड़ बाकी के तीन बच्चे पेट फूलने की बीमारी से ग्रस्त हैं, जिससे उनका भी सामान्य बच्चों की तरह विकास तो नहीं हो रहा है. तीनों मानसिक रूप से भी कमजोर हो गये हैं.
नहीं बन सका आधार
परिवार के सदस्य बुधू पुरती ने बताया कि इन बच्चों का आधार कार्ड तक नहीं बन पाया है, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता. उसने बताया कि आधार कार्ड बनाने के लिए केंद्र वाले पैसे मांगते हैं, जिससे वह कार्ड नहीं बनवा पाया.
क्या है नाभि हर्निया
नाभि हर्निया एक जन्मजात विकृति है, जो लगभग डेढ़ लाख में से किसी एक बच्चे को होता है. यह बीमारी नवजात बच्चों में नाभि के स्थान में उभार के रूप में प्रकट होता है.
बच्चे के उदर में बुनियादी दोष होने के कारण पेट के कुछ ऊतक नाभि के पास उसे धारण करने वाली थैली से बाहर निकल आते हैं जिससे यह रोग होता है. अधिकांश मामलों में उम्र के साथ यह स्वतः अंदर चला जाता है पर कुछ मामलों में उसके बढ़ते चले जाने के कारण वह गोले का रूप ले लेता है. इसका उपचार करने के लिए निकले हुए ऊतकों को ऑपरेशन के माध्यम से अंदर कर थैली के छेद को टांके लगाकर बंद कर किया जाता है.
सरायकेला से जमशेदपुर हुआ था रेफर, जाने के नहीं थे पैसे
गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पा रहे हैं. साल भर पहले सरायकेला सदर अस्पताल में इलाज के लिए गये थे, लेकिन वहां से जमशेदपुर रेफर कर दिया गया. पैसे के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहे हैं.
बुधू पुरती, अंजीत का बड़ा भाई
डेढ़ लाख बच्चों में एक को होता है नाभि हर्निया
सिविल सर्जन डॉ एपी सिन्हा ने बताया कि पेट में गोला निकलना अंबिलिकल हर्निया (नाभि हर्निया) का लक्षण है. यह डेढ़ लाख बच्चों में किसी एक बच्चे को होता है. सरकारी अस्पताल, जैसे एमजीएम में इसका इलाज उपलब्ध है. निजी अस्पतालों में इसके इलाज में पचास हजार रु तक खर्च आ सकता है.
अंबिलिकल हर्निया के मरीज की जांच के लिए मेडिकल टीम जायेगी तथा ऐसी बीमारी होने के कारणों का पता लगाते हुए उसे इलाज के लिए अस्पताल लाया जायेगा.
डॉ प्रदीप कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सरायकेला

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