बेंगलुरु : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप इकाइयों को सलाह दी है कि वे रसोई के लिए स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए सौर ऊर्जा बाजार में संभावनाएं तलाशें. उन्होंने इसे एक विशाल बाजार बताते हुए कहा कि इससे उन्हें गरीब महिलाओं की दुआएं भी हासिल होंगी. मोदी ने रविवार को यहां एक कार्यक्रम दशामह सौंदर्य लहरी प्रयाणोत्सव महासमर्पणे में कहा कि पिछले 35 साल में सरकारों ने नवीकरणीय ऊर्जा के विकास पर कुल मिलाकर 4000 करोड़ रुपये खर्च किये जबकि उनकी सरकार ने आने के बाद इस मद पर करीब 11 हजार करोड़ रुपये लगाये हैं.
उन्होंने कहा, मैं बेंगलुरु में रह रहे स्टार्टअप चला रहे युवाओं का आह्वान करता हूं कि वे भोजन पकाने में स्वस्छ ऊर्जा के इस्तेमाल का अभियान चलाते हुए सौर ऊर्जा बाजार की संभावनाओं का लाभ उठाएं, जो कि बहुत बड़ा बाजार है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जो भी इसकी पहल करेगा उसे गरीब परिवार की माताओं से बड़ी दुआएं मिलेंगी और इससे देश का बहुत अधिक धन बचेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में 2030 तक 40 प्रतिशत बिजली नवीकरणीय स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य रखा है. सरकार ने 2022 तक इन स्रोतों से एक लाख 75 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने की योजना बनायी है. उन्होंने कहा कि उजाला योजना के तहत आज 40-45 रुपये में एलईडी बल्ब मिल रहा है जबकि पहले इसकी कीमत 350 रुपये से भी अधिक थी. इस योजना से मध्यम वर्ग को 7000 करोड़ रुपये की बचत हुई है.
मोदी ने यह भी कहा कि सरकार ने ग्रामीण महिलाओं को तीन करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन वितरित किये हैं. इससे न केवल महिलाओं के जीवन में सुधार आया है बल्कि पर्यावरण शुद्ध रखने में भी मदद मिली है. उन्होंने कहा कि इस समय जरुरत है कि हम भारत को निरक्षरता, अज्ञानता, कुपोषण, काले धन और भ्रष्टाचार की बुराइयों से मुक्त करें.
मोदी ने आठवीं शताब्दी के दार्शनिक आदि शंकराचार्य का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने वेद और उपनिषदों के ज्ञान से पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया. आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत का प्रतिपादन किया. उन्होंने केदारनाथ की अपनी हाल की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि आदि शंकराचार्य ने समाज से बुराइयों का निर्मूलन किया और भविष्य की पीढि़यों को उनसे बचाया. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के मौजूदा स्वरुप में भी आदि शंकराचार्य उपस्थित हैं. भारतीय संस्कृति सर्वग्राही और प्रगतिशील है.
उन्होंने कहा कि दुनिया की बहुत सी समस्याओं का समाधान भारत की संस्कृति में तलाशा जा सकता है. भारत में हमेशा से ही प्रकृति के अंधाधुंध दोहन का निषेध किया है. समारोह में हजारों लोगों ने आदि शंकराचार्य रचित श्लोकों का लयबद्ध पाठ किया. इस समारोह का आयोजन श्रृंगेरी शारदा पीठ की शाखा वेदांत भारती के समापन के अवसर पर किया गया था. इसका उद्देश्य समाज में नैतिक मूल्यों और धार्मिक सद्भाव और आध्यात्मिक जागरण का प्रसार था.
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