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उगते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ

मधुबनी : आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा को लेकर शहर से लेकर गांवों तक लोग भक्ति के रंग में डूबे रहे. शाम तक भक्तों का तांता लगा रहा. छठ गीत से पूरा वातावरण छठमय बना रहा. घर से घाटों तक महिलाएं छठ गीत गाते हुए पहुंची. कोई जमीन पर लेटते हुए तो कोई […]

मधुबनी : आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा को लेकर शहर से लेकर गांवों तक लोग भक्ति के रंग में डूबे रहे. शाम तक भक्तों का तांता लगा रहा. छठ गीत से पूरा वातावरण छठमय बना रहा. घर से घाटों तक महिलाएं छठ गीत गाते हुए पहुंची. कोई जमीन पर लेटते हुए तो कोई नंगे पांव. इस दौरान सड़कों पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगायी गयी थी.

चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व का समापन हुआ. अवसर पर लोग भगवान भास्कर की आराधना में लीन रहे. शहर से लेकर गांवों तक सरोवर के तट तक छठ पूजा के गीत गूंजते रहे. शहर स्थित सड़क के किनारे रंग बिरंगे रौशनी और आकर्षक तोरणद्वार छठ पूजा को जीवंतता प्रदान कर रहा था. घाटों की मनोरम छटा देखते ही बन रहा था. साथ ही घाटों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम भी थे.

शहर स्थित मुख्य मार्ग से लेकर गलियों तक सफाई की गई थी. आम से लेकर खास तक सभी पर्व को लेकर व्यस्त थे. कारण हर कोई छठ में हाथ बंटाना चाह रहा था. पूजा समितियों द्वारा भी भगवान भास्कर की मूर्ति स्थापित की गई थी. इस तरह से पूजा का माहौल भक्तिमय बना रहा. गुरुवार को श्रद्धालुओं व व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ देकर आशीर्वाद लिया. तो शुक्रवार को उदीयमान भास्कर को अर्घ दिया. शहर से लेकर गांव कस्बों तक में आस्था का जनसैलाब घाटों पर उमड़ रहा था.

छठ गीत की धुन, व्रतियों द्वारा तालाब में खड़ा होकर अर्घ देना, विभिन्न सामानों से सजा घाट, दीप- धूप की सुगंध से वातावरण भक्तिमय बन गया था. लोग नये नये परिधान पहन कर घाटों पर भगवान को प्रणाम कर रहे थे. बाजार में गंगासागर, नगर परिषद, मुरली मनोहर मंदिर सहित 24 तालाबों में भी छठ पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. गुरुवार को पहले दिन दोपहर से ही श्रद्धालु अपने अपने घरों से विभिन्न वाहनों से छठ का दउरा, कोनियां, सूप में सामानों को सजा कर घाट पर जाने के लिये निकलने लगे थे. प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे. परदेसियों के आने से गांव की रौनक बढ़ गयी थी.

कहीं लोग अपने मन्नत के पूरा होने पर भगवान को दंड प्रणाम करते आ रहे थे तो कोई मन्नत मांग रहा था. रात भर शहर के विभिन्न तालाबों पर सामान सजा रहा. पूर्व में यह घरों में लेकर जाने की परंपरा रही थी. पर बीते कुछ सालों से अब लोग सामान को रात भर घाट पर ही छोड़ देते है. पुरुष व युवक रात भर इन सामान की रक्षा करते हैं. इस दौरान कइ प्रकार के मनोरंजन के कार्यक्रम भी होते रहते हैं. अहले सुबह से फिर से व्रती व श्रद्धालु घाट पर आये और भगवान को अर्घ्य दिया.

मुस्तैद थे दंडाधिकारी व सुरक्षा कर्मी. 21 घाटों पर छठ पर्व के मौके पर पुलिस व दंडाधिकारी पूरी मुस्तैदी से तैनात थे. अस्ताचलगामी अर्घ एवं सुबह के अर्घ्य के दौरान सदर एसडीओ अभिलाषा कुमारी शर्मा एवं एसडीपीओ कुमार इंद्र प्रकाश ने कई छठ घाटों का निरीक्षण किया.
एसडीओ अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि लोक आस्था का पर्व छठ शांतिपूर्ण ढंग से लोगों ने मनाया. सदर अनुमंडल क्षेत्र में छठ के दौरान कहीं भी अप्रिय घटना नहीं घटी है. प्रत्येक छठ घाट पर दंडाधिकारी एवं पुलिस बल की मौजूदगी है. प्रमुख तालाबों में एसडीआरएफ की टीम व बोट मौजूद थे.
दूर-दूर से दंड प्रणाम देते पहुंचे श्रद्धालु
मधुबनी: शहर के प्रमुख घाटों पर दूर दूर से दंड प्रणाम देते छठ व्रती श्रद्धालू छठ घाटों पर पहुंचे. पुलिस केंद्र के तालाब, गंगासागर तालाब, नगर परिषद तालाब, मुरली मनोहर मंदिर तालाब सहित अन्य तालाब पर श्रद्धालु भक्त अपने मन्नत के पूरा होने के बाद अपने घरों से छठ घाट तक दंड प्रणाम देते पहुंचे. इसमें पुरुष एवं महिला श्रद्धालु दोनों थे. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऐसे कई श्रद्धालु देखे गये जो अपनी मन्नत के पूरा होने पर श्रद्धा आस्था के साथ घर से छठ घाट तक दंड प्रणाम करते पहुंचे.
एसडीआरएफ की टीम थी मुस्तैद
लोक आस्था के पर्व छठ में शहर मुख्यालय के प्रमुख तालाब गंगा सागर तालाब में एसडीआरएफ की टीम गोताखोरों से लैस बोट पर मुस्तैद दिखी. तालाब के चारों ओर लाल डोरी लगाकर खतरे के निशान देही बनाई गई थी. गोताखोर की टीम बोट के सहारे तालाब के चारों चक्कर लगा रही थी. कोई श्रद्धालु अगर खतरे के निशान से आगे बढ़ कर तैर रहे थे या स्नान कर रहे थे तो उन्हें तत्काल आगाह किया जा रहा था कि खतरे के निशान से आगे न बढ़े. छठ पूजा के दौरान किसी छठ व्रती का नारियल यदि पानी में बह जाता था तो गोताखोर बोट से ही उस नारियल को उठाकर जिस छठ व्रती का नारियल होता था उन्हें सौंप देते थे. एसडीआरएम टीम सहित अन्य खोताखोर बोट पर मौजूद थे.
जम कर हुई आतिशबाजी
शहर के प्रमुख घाटों पर छठ पर्व के अर्घ्य के दौरान जमकर आतिशबाजी हुई. खासकर सुबह के अर्घ के दौरान शाम के अर्घ्य की अपेक्षा अधिक आतिशबाजी हुई. वैसे छठ घाट पर उपस्थित लोगों का कहना था कि पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष कम आतिशबाजी हुई. क्योंकि, पटाखा की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है. हालांकि छठ घाट पर पटाखा नहीं छोड़ने को लेकर प्रशासन ने भी निर्देश दिये थे. इसके बावजूद घाटों पर पटाखें छोड़े गये.
परंपरा आज भी कायम
छठ घाट पर मन्नत पूरा होने पर नटुआ नचाने की परंपरा सदियों से रही है. आधुनिकता के दौर के बावजूद आज भी यह परंपरा पूरी तरह कायम है. विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं के द्वारा नटुआ नाच कराते देखा गया. नगर मुख्यालय के विभिन्न प्रमुख छठ घाटों पर नटुआ नाच व बैंड पार्टी की धुन बजती दिखी, काली मंदिर गंगासागर पोखरा, नगर परिषद तालाब, मुरली मनोहर मंदिर तालाब के घाटों पर कई जगहों पर बैंड पार्टी एवं नटुआ नाच कर रहे थे. ऐसी मान्यता है किसी मन्नत के पूरा होने पर श्रद्धालु अपने घाटों पर नटुआ नाच अथवा बैंड पार्टी बजवाते है. छठ घाट पर नटुआ नाच को देखने में बच्चों को अधिक मन लगता है. वे कौतूहल के साथ छठ घाट पर इसका आनंद लेते है.
सास ने बहू को सौंपी पर्व की जिम्मेदारी
लोक आस्था का पर्व छठ पूरे मिथिलांचल में आस्था के साथ मनाते हैं. एक पीढी से लेकर दूसरे पीढी होते हुए पीढी दर पीढी इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. जब घर की कोई महिला इस परंपरा का निर्वहन करने में असमर्थ हो जाती हैं तो उसे अपने बहू या बेटी या परिवार के किसी दूसरे लोगों को वह जिम्मेदारी दे दी जाती है.
ऐसी ही परंपरा को जीवित रखा है वार्ड नंबर 3 निवासी जगदीश राय के परिवार ने. 25 साल पहले तक इनकी माता सुदामा देवी इस पर्व को आस्था के साथ किया. जब वह बूढी हो गयी तो जगदीश राय की पत्नी ने परंपरा को आगे बढ़ाया. अब बड़ी बहू निर्मल राय की पत्नी सुनैना देवी इस पर्व की जिम्मेदारी ली है. गौरतलब हो कि मधुबनी नगर परिषद के मुख्य पार्षद है. इस पद को भी वो पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रही है. बताती है कि अपने परिवार की परंपरा को आगे बढायी है. मैं सौभाग्यशाली हूं कि यह जिम्मेदारी मिली है. छठी मैया मेरे परिवार एवं शहर के लोगों को दीर्घायु रखें.

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