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मिरिक में इस बार संतरे की अच्छी उपज
मिरिक : संतरे के उत्पादन में जुटे स्थानीय किसानों का कहना है कि मिरिक के संतरे नागपुर और भूटान की तुलना में स्वादिष्ट और रसदार होते हैं, इसीलिए इनकी काफी मांग है. हालांकि विपणन की उचित व्यवस्था के अभाव में वे अंतरराष्ट्रीय बाजार नहीं पहुंच पाते. इस साल यहां संतरे की उपज अच्छी होने से […]
मिरिक : संतरे के उत्पादन में जुटे स्थानीय किसानों का कहना है कि मिरिक के संतरे नागपुर और भूटान की तुलना में स्वादिष्ट और रसदार होते हैं, इसीलिए इनकी काफी मांग है. हालांकि विपणन की उचित व्यवस्था के अभाव में वे अंतरराष्ट्रीय बाजार नहीं पहुंच पाते. इस साल यहां संतरे की उपज अच्छी होने से किसानों में उम्मीद जगी है. अब तो यहां के किसान वैज्ञानिक पद्धति से संतरे उपजा रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक लाभ हो रहा है. सूत्रों के अनुसार, दिसंबर-जनवरी तक संतरों में पूरा रंग और रस आ जाता है.
फरवरी के अंत तक इन्हें पेड़ों से तोड़ जाता है. थोक बाजार में बड़ा संतरे 5-7 रुपए पीस और छोटे 3-5 रुपए पीस की दर से बिकते हैं. प्रशासन की ओर से संतरे की खेती को बढ़ावा देने के लिये आधुनिक तकनीक से परिचित कराने के अलावा उन्हें जानकारी भी दी जाती है. लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या कोल्ड स्टोरेज का अभाव है जिसके बिना किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है. यहां कोई जूस कारखाना भी नहीं है. जूस कारखाना के खुलने से यहां युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध हो सकता था.
उल्लेखनीय है कि मिरिक के 40 प्रतिशत किसान संतरे की खेती पर निर्भर हैं. यहां उत्पादित संतरे सिलीगुड़ी होते हुए कोलकाता, दिल्ली, दिल्ली, बांग्लादेश, नेपाल, असम और दिल्ली भेजे जाते हैं.
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