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बिहार बोर्ड : मैट्रिक-इंटर परीक्षा का 2018 में भी नहीं बदलेगा रिजल्ट

मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा, 2018 का शेड्यूल जारी हो गया है और अब परीक्षा के महज तीन महीने ही बच गये हैं. बिहार बोर्ड जहां परीक्षा की तैयारी में जुट गया है, वहीं छात्रों के कमतर पठन-पाठन से अगले साल भी रिजल्ट में ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है. परीक्षा के आयोजन और […]

मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा, 2018 का शेड्यूल जारी हो गया है और अब परीक्षा के महज तीन महीने ही बच गये हैं. बिहार बोर्ड जहां परीक्षा की तैयारी में जुट गया है, वहीं छात्रों के कमतर पठन-पाठन से अगले साल भी रिजल्ट में ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है. परीक्षा के आयोजन और कॉपियों की जांच में कड़ाई होने पर रिजल्ट के प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी, इसमे संशय है.
पटना : मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 का शिड्यूल बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने जारी कर दिया है. इंटरमीडिएट की परीक्षा जहां छह से 18 फरवरी के बीच होगी, वहीं मैट्रिक की परीक्षा 21 से 28 फरवरी तक होगी. बिहार बोर्ड जहां परीक्षा की तैयारी में जुट गया है, लेकिन अगले साल भी मैट्रिक व इंटरमीडिएट के रिजल्ट में ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है.
परीक्षा के आयोजन और कॉपियों की जांच में कड़ाई होने पर रिजल्ट के प्रतिशत में ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद कम है. राज्य सरकार ने 2017 में इंटरमीडिएट में 35.25 प्रतिशत रिजल्ट रहने पर इसके सुधार के लिए कई चीजों की घोषणा की थी, लेकिन आज तक उस पर अमली जामा नहीं पहनाया जा सका.
साइंस के 30.11 प्रतिशत और आर्ट्स में 38 फीसदी परीक्षार्थी ही पास हो सके थे. रिजल्ट खराब होने के लिए विषय वार शिक्षकों की कमी का रोना रोया गया. इसके लिए सरकार ने विज्ञान, गणित, अंग्रेजी के करीब 19 हजार शिक्षकों की बहाली की बात की, लेकिन न तो एसटीईटी ही हुआ और न शिक्षक ही बहाल हुए.
शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सेवानिवृत्त शिक्षकों और संबंधित विषय के विशेषज्ञों की संविदा के आधार पर सेवा लेने का भी फैसला लिया गया, लेकिन ये भी बहाल नहीं हुए. इसके बाद शिक्षकों की कमी के कारण मैट्रिक के छात्रों के लिए वर्चुअल क्लास की व्यवस्था करने की घोषणा हुई. कहा गया कि गणित, विज्ञान व अंग्रेजी के विषय विशेषज्ञों से किसी एक जगह सारी विधि से पढ़ाया जायेगा और उसे दूसरे स्कूलों में प्रोजेक्टर व पैन ड्राइव के जरिये दिखाया जायेगा, लेकिन अब तक किसी भी विषय के कोर्स का ई-लर्निंग कोर्स तैयार ही नहीं हो सका है.
शिक्षकों की कमी के चलते स्कूलों में नहीं होती सभी विषयों की पढ़ाई
– 2017 में मैट्रिक मेें 50 फीसदी और इंटरमीडिएट में 64 फीसदी परीक्षार्थी हो गये थे फेल
– छह से 18 फरवरी 2018 तक इंटर की और 21-28 फरवरी तक मैट्रिक होगी परीक्षा
– न हुई शिक्षकों की बहाली और न ही शुरू हुए वर्चुअल क्लास
– विज्ञान, गणित, अंग्रेजी विषय के शिक्षकों के पद हैं खाली
इस साल का इंटर का रिजल्ट
वर्ष विषय शामिल हुए पास हुए
2017 साइंस 6,46,231 1,94,592
2017 आर्ट्स 5,33,915 1,98,250
मैट्रिक का रिजल्ट
वर्ष फेल हुए
2016 52 प्रतिशत
2017 49 प्रतिशत
इंटर साइंस का रिजल्ट
वर्ष फेल हुए
2016 33 प्रतिशत
2017 70 प्रतिशत

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