14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फिर बाहर आएगा बोफोर्स का जिन्न! केस को दोबारा खुलवाना चाहती है सीबीआई

नयी दिल्ली : सीबीआई ने बोफोर्स मामले में सरकार से 2005 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और उसे कथित घोटाले में प्राथमिकी निरस्त करने को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की मंजूरी देने की मांग की है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को लिखे एक पत्र […]

नयी दिल्ली : सीबीआई ने बोफोर्स मामले में सरकार से 2005 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और उसे कथित घोटाले में प्राथमिकी निरस्त करने को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की मंजूरी देने की मांग की है.

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को लिखे एक पत्र में सीबीआई ने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के 31 मई, 2005 के उस फैसले को चुनौती देने के लिए एसएलपी दायर करना चाहती है जिसमें बोफोर्स मामले में यूरोप स्थित हिंदूजा भाइयों के खिलाफ सभी आरोप निरस्त करने का आदेश दिया गया था. सरकार के अधिकारियों ने कहा कि सीबीआइ 2005 में ही एसएलपी दायर करना चाहती थी लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसे इसकी मंजूरी नहीं दी.

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि एजेंसी को 12 साल से ज्यादा समय तक इस बात की अनदेखी करने के लिए काफी स्पष्टीकरण देना होगा. दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश आर एस सोढी ने 31 मई, 2005 को हिंदूजा भाइयों – श्रीचंद, गोपीचंद एवं प्रकाशचंद – और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप निरस्त कर दिये थे और सीबीआइ को मामले से निपटने के उसके तरीके के लिए यह कहते हुए फटकार लगायी थी कि इससे सरकारी खजाने पर करीब 250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा.

बोफोर्स मामले में जासूस हर्शमैन का दावा, राजीव गांधी की सरकार ने जांच में अटकाये थे रोड़े

2005 के फैसले से पहले दिल्ली हाईकोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश जे डी कपूर (तत्कालीन) ने चार फरवरी, 2004 को दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी को आरोपमुक्त कर दिया था और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 465 के तहत धोखाधड़ी का आरोप तय करने का निर्देश दिया था. गत बुधवार को सीबीआई ने कहा था कि वह निजी जासूस माइकल हर्शमैन के दावों के अनुरुप बोफोर्स घोटाले के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करेगी.

हर्शमैन ने आरोप लगाया है कि दिवंगत कांग्रेस नेता राजीव गांधी की अगुवाई वाली सरकार ने उसकी जांच में रोड़े अटकाये थे. अमेरिका स्थित निजी जासूसी एजेंसी फेयरफैक्स के अध्यक्ष हर्शमैन ने हाल में टीवी चैनलों को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि राजीव गांधी को जब स्विस बैंक खाते मोंट ब्लैंक के बारे में पता चला था तो वह काफी गुस्से में थे. निजी जासूसों के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए पिछले हफ्ते यहां आए हर्शमैन ने यह आरोप भी लगाया था कि बोफोर्स तोप प्रकरण की रिश्वत का पैसा स्विस खाते में रखा गया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें