शिमलाः दूरसंचार घोटाले में तथाकथित तौर पर शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के सुर बदल गये हैं. पार्टी बदलने के साथ ही उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर आरोप लगाया है कि 1996 में मंडी स्थित उनके घर और दिल्ली के आवास से जांच एजेंसी सीबीआर्इ को मिला पैसा कांग्रेस पार्टी का था. यह पैसा तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने षड्यंत्र रचकर उनके घर में रखवाया था.
मंडी में पत्रकार से बातचीत के दौरान उन्होंने दावा किया है कि 1995-96 में आॅल इंडिया कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष सीताराम केसरी को वीरभद्र सिंह ने शिमला बुलाया था. इस दौरान वीरभद्र सिंह ने सुरक्षा का हवाला देकर पार्टी फंड को जिला कार्यालय मंडी में रखने की बजाय कोषाध्यक्ष को मेरे पुश्तैनी घर में रखने की सलाह दी थी. इस कारण उन्होंने यह पैसा अपने पुश्तैनी घर में रखवा दिया था. उन्होंने कहा कि जब वे सीबीआई रेड के बाद विदेश से लौटे को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सीबीआई ने केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी. वीरभद्र सिंह यहां तक नहीं रुके. उन्होंने मेरे पीछे प्रदेश पुलिस के अधिकारी को भी लगा दिये थे.
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उन्होंने कांग्रेस आैर वीरभद्र सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि उस दौर में दिल्ली स्थित मेरे घर में लोगों का आना-जाना तक मुश्किल हो गया था. जब मंडी लौटा, तो यहां प्रदेश पुलिस के जवान सादी वर्दी में पीछे लगाये गये थे. एक दफा मेरी बहू दुकान से सामान लेने गयी, तो दुकानदार तक को फोन आया कि पंडित की बहू क्या सामान लेकर गयी. कितने का सामान लिया, पैसे दिये अथवा नहीं. पंडित सुखराम ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने उनके परिवार को भूखे मारने की नीयत से ये सब षड्यंत्र रचे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी कांग्रेस नेताओं की वजह से ही पीएम बने थे. उस समय देवगौड़ा ने उन्हें नरसिम्हा राव के खिलाफ बयान देने को कहा और जब उन्होंने नरसिम्हा राव के खिलाफ गवाही नहीं दी, तो उनके बेटे अनिल शर्मा पर केस दर्ज करवाया गया. उन्होंने कहा कि झूठे आरोप होने के चलते सीबीआई को अपनी एफआईआर वापस लेनी पड़ी थी.