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रोहिंग्या के बच्चे धरती पर रह रहे हैं नरक जैसी जगह पर

जिनेवा : म्यांमार में हिंसा के बाद पलायन करने वाले करीब 600,000 रोहिंग्या मुसलमानों में से अधिकांश बच्चे हैं और वे पड़ोसी बांग्लादेश में भीड़भाड़ वाले, मलिन और गंदे शरणार्थी शिविरों में धरती पर नरक का सामना कर रहे हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ ने एक अध्ययन में कही है. संयुक्त […]

जिनेवा : म्यांमार में हिंसा के बाद पलायन करने वाले करीब 600,000 रोहिंग्या मुसलमानों में से अधिकांश बच्चे हैं और वे पड़ोसी बांग्लादेश में भीड़भाड़ वाले, मलिन और गंदे शरणार्थी शिविरों में धरती पर नरक का सामना कर रहे हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ ने एक अध्ययन में कही है.

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बच्चों की दुर्दशा का जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया कि शरणार्थियों में से 58 प्रतिशत बच्चे हैं जो बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में पिछले आठ सप्ताहों से शरण लिये हुए हैं. रिपोर्ट तैयार करने वाले सिमोन इनग्राम ने बताया कि इलाके में हर पांच में से एक बच्चा बेहद तेजी से कुपोषित हो रहा है.

यह रिपोर्ट जिनेवा में सोमवार को रोहिंग्या के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष एकत्र करने के लिये दानदाता सम्मेलन से पहले सामने आयी है. यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एंटोनी लेक ने एक बयान में बताया, बांग्लादेश में कई रोहिंग्या शरणार्थियों ने म्यामां में अत्याचार देखा है जैसा किसी भी बच्चे ने अभी तक नहीं देखा था और सभी को भारी नुकसान हुआ है.

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