जमशेदपुर: पिछले पांच माह से गर्भ का दंश झेल रही 12 वर्षीया दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात के लिए रविवार को हाइकोर्ट से मंजूरी मिलने को पीड़िता की मां ने न्याय की पहली जीत बताया. उन्होंने कहा कि आरोपी को सजा दिलाने तक लड़ाई जारी रहेगी. उसने कहा, ‘हाइकोर्ट से बच्ची के गर्भपात की अनुमति देने की गुहार लगायी थी अौर हाइकोर्ट ने पक्ष में फैसला दिया है.
यह न्याय की पहली जीत है अौर दुष्कर्मी को सजा दिलाने तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी.’ उसने कहा कि अधिवक्ता आरडी सिंह, ममता सिंह व आरएस सिंह के सहयोग से न्याय मिला है.
पांच माह के दंश से निजात मिलेगी : पीड़िता
अपने अधिवक्ता के माध्यम से बातचीत करते हुए पीड़िता ने उच्च न्यायालय के फैसले पर खुशी जाहिर की है. कहा कि कोर्ट के फैसले से पिछले पांच माह से जो दंश वह झेल रही थी, उससे निजात मिलेगी. कहा कि उसके साथ इस तरह का जघन्य कार्य करने वाले को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. जिसने उसकी जिंदगी बर्बाद की उसे जीने का हक नहीं है.
झारखंड का ऐतिहासिक आदेश : आरडी सिंह
पीड़िता के अधिवक्ता रंजनधारी सिंह ने कहा कि हाइकोर्ट का यह फैसला झारखंड के लिए ऐतिहासिक फैसला है. झारखंड में पहली बार हाइ कोर्ट ने पीड़िता की स्थिति को देखते हुए मानवीय पहलू पर ध्यान देते हुए फैसला सुनाया है. बच्ची की मां ने बेटी की जान बचाने के लिए हाइ कोर्ट से गुहार लगायी थी अौर हाइ कोर्ट ने पीड़िता की स्थिति को देखते हुए उसके पक्ष में फैसला दिया है.
रिम्स ने रिपोर्ट में बताया गर्भपात से बच्ची को घातक खतरा नहीं: दुष्कर्म पीड़िता की अोर से रांची हाइ कोर्ट में क्रिमिनल रिट दायर करने वाले वरीय अधिवक्ता राम सुभग सिंह ने प्रभात खबर को बताया कि रिम्स के मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि गर्भपात से बच्ची को घातक खतरा नहीं होगा अौर रिम्स द्वारा गर्भपात कराना संभव होगा. रिम्स की रिपोर्ट के आधार पर हाइ कोर्ट ने मंगलवार को पीड़िता का रिम्स में गर्भपात कराने का निर्देश दिया है. इसके लिए रिम्स में विशेष कॉटेज की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है.