इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरुषि हत्याकांड में घरेलू नौकर हेमराज की हत्या पर थ्योरी के लिए सीबीआइ को फटकार लगायी है. अदालत ने कहा कि यह असंभव परिकल्पना और साफ तौर पर बेतुका है. आरुषि और हेमराज की हत्या के लिए राजेश और नूपुर तलवार को बरी करते हुए अपने 273 पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा कि अभियोजन इस बात को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा कि तलवार दंपती ने ठोस सबूतों को नष्ट किया था और कहा कि निचली अदालत द्वारा दर्ज विरोधाभासी निष्कर्ष को कायम नहीं रखा जा सकता है.
अभियोजन पक्ष के मामले का विश्लेषण करते हुए न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की पीठ ने सीबीआइ के वकील अनुराग खन्ना की उन दलीलों के साथ सहमत होने से इनकार कर दिया कि कई गवाहों ने गौर किया था कि अपनी एकमात्र बेटी की हत्या के बाद तलवार दंपती का आचरण एक और परिस्थिति थी जो उनकी साठगांठ का संकेत देती है.
अदालत ने कहा कि वह जांच एजेंसी की दलीलों के साथ सहमत नहीं है क्योंकि किसी दी हुई परिस्थिति में अलग-अलग लोग अलग तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं. न्यायमूर्ति नारायण और न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह टिप्पणी पिछले सप्ताह गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ अदालत के फैसले के खिलाफ नूपुर और राजेश तलवार की अपीलों को मंजूर करने के दौरान की. राजेश और नूपुर तलवार ने 14 वर्षीय आरुषि और हेमराज की हत्या के मामले में उन्हें सुनायी गयी आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी.
अदालत ने कहा, अभियोजन की थ्योरी कि अपीलकर्ताओं ने अपने फ्लैट की छत पर हेमराज का शव छिपाया था यह साफ तौर पर बेतुका और असंभव है. अदालत ने कहा कि थ्योरी में असंभव परिकल्पना पर विचार किया गया कि शव को उपयुक्त मौका मिलने पर बाद में उसे निपटाने की मंशा से तलवार दंपती ने उसे छत पर छिपाया था. हेमराज का शव अगले दिन बरामद किया गया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने नोएडा पुलिस से मामले में जांच की जिम्मेदारी ली थी.