प्रधानमंत्रीनरेंद्रमोदी की छोटी-छोटी बचत वाली बात से प्रेरणा लेकर एक शख्स ने तीन साल तक एक-एक पाई जोड़ी और इन पैसों को लेकर मोटरसाइकिल खरीदने के लिए शाेरूम पहुंच गया. सारे पैसे चिल्लर के रूप में थे, ऐसे में उन्हें शोरूम तक ले जाने के लिए थैले का सहारा लेना पड़ा.
दरअसल, मध्यप्रदेश के रायसेन शहर में किराने की एक दुकान चलानेवाले हसीब हिन्दुस्तानी, गुरुवार 12 अक्तूबर को हीरो मोटरसाइकिल के शोरूम पहुंचे. वह यहां अपनी मनपसंद मोटरसाइकिल ‘हीरो स्प्लेंडर’लेनेआये थे.
अपने साथ मेंवह ले गये थे 57,000 रुपये. ये रुपये नोटों कीगड्डी या चेक के रूप में नहीं, बल्कि सिक्कों के रूप में थे. हसीबइन सिक्कों को चार थैलों में भर कर शोरूम पहुंचे थे. इसमें एकरुपयेके 14600 सिक्के, दोरुपयेके 15645 सिक्के, पांच रुपये के 1458 सिक्के और 10 रुपये के 322 सिक्के शामिल थे.
पहले तो शोरूम का संचालक इतने सारे चिल्लर देख कर भड़क गया और हसीब को मोटरसाइकिल बेचने से मना कर दिया. लेकिन जब उसने हसीब और उनके सिक्कों की कहानी सुनी, तो वह उन्हें उनकी मनपसंद मोटरसाइकिल बेचने को राजी हो गया.
हसीब ने डीलर को बताया कि उसके परिवार के 10 सदस्य पिछले 3सालों से मोटरसाइकिल खरीदने के लिए एक-एक पाई जोड़ रहे थे. उन्हें पैसे बचाने की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण से मिली थी, जिसमें उन्होंने देशवासियों को छोटी-छोटी बचत करने कीसलाह दी थी.
हसीब की यह कहानी सुन करशोरूम संचालक भावुक हो गया. उसनेहसीब की इच्छा को ध्यान में रखकर अपने बैंकरसे बात की और हसीब के बारे में बताया. बैंक प्रबंधनने उपने यहां उक्त सिक्के जमाकर लेने का आश्वासन दिया. इसके बाद हसीब को उनकी पसंदीदा हीरो स्प्लेंडर बाइक दे दी गयी.
बताया जाता है कि चार थैलों में भरे उन सिक्कों को गिनने के लिए शोरूम के लगभग सारे कर्मचारियों को लगना पड़ा और तीन घंटों की मशक्कत के बाद यह काम पूरा हुआ.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.