जमशेदपुर : टाटा स्टील ने ‘प्रवेश डोर्स’ के नाम से स्टील के दरवाजेकानिर्माणशुरू किया है. अपने इस प्रोडक्ट को प्रोमोट करने के लिए टाटा सील ने इसे देश भर के ऐतिहासिक इमारतों से जोड़ने की कोशिश की है. इसके लिए कंपनी ने अपने 6 अधिकारियों को देश भर के ऐतिहासिक दरवाजों की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण करने का काम सौंपा है.
टाटा स्टील के प्रवक्ता अमरेश सिन्हा ने बताया कि सर्वे में दरवाजाें की जानकारी हासिल कर उसके एेतिहासिक पहलुओं के बारे मेें पता लगाया जायेगा. इसके बाद कंपनी रिपोर्ट का अध्ययन कर आगे की रणनीति बनायेगी. टाटा स्टील के छह अधिकारी, जो देश के प्रसिद्ध दरवाजों का सर्वेक्षण करने निकले हैं, 46 शहरों में करीब 30 हजार किलोमीटर की यात्रा कर मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, गिरजाघरों से लेकर अन्य प्राचीन किलों, ऐतिहासिक धरोहरों के दरवाजों का सर्वेक्षण करेंगे.
इस अनोखे सर्वेक्षण में प्रसिद्ध दरवाजों की बनावट, रख-रखाव की स्थिति से लेकर डिजाइन आदि तक का अध्ययन किया जायेगा. ज्ञात हो कि देश के कई शहरों में पुराने भवन हैं, जिनके दरवाजों का ऐतिहासिक महत्व है. उनकी कलाकृतियां आकर्षण का केंद्र हैं. ऐसे दरवाजों पर की गयी नक्काशी के लिए क्या वर्तमान में कारीगर उपलब्ध हो सकते हैं, इसके बारे में टीम जानकारी हासिल करेगी.
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सर्वेक्षण पर निकले छह कर्मचारियों में अमृता दास, दिव्याक्षी गुप्ता, कौशल करखानिस, शुभम मानसिंहका, स्वाति सक्सेना व विनायक ग्रोवर शामिल हैं. सभी अधिकारी स्तर के कर्मी हैं, जो ऐसी खोज में पारंगत हैं. इनका चयन करीब 30 हजार मजदूरों और ऑफिसरों के बीच से किया गया है. टीम यह पता लगायेगी कि क्या ऐतिहासिक दरवाजों को टाटा स्टील बदल सकती है या उन्हें बदलने की जरूरत है? सर्वेक्षण के बाद टीम अपनी रिपोर्ट कंपनी को सौंपेगी.