बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में मदद के बाद जापान भारत के युवाओं को स्किल डेवलेपमेंट की ट्रेनिंग देगा. चीन के साथ भारत के टकराव के बीच जापान पिछले तीन – चार सालों में अहम सहयोगी देश बनकर उभरा है.दोनों देशों के बीच बढ़ती साझेदारी अनायास ही नहीं बल्कि वक्त की जरूरत है. भारत को जहां नौकरीऔर स्किल डेवलेपमेंट की जरूरत है. वहीं जापान में कामगरों की कमी महसूस की जा रही है. वृद्ध होती जनसंख्या को देखते हुए जापान ने भारी संख्या में रोबोट का सहारा लेना शुरू कर दिया है. दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्थाजापान में इकोनॉमी के अच्छे हालत नहीं है.
बुलेट ट्रेन में निवेश के बाद स्किल डेवलेपमेंट के क्षेत्र में जापान का दूसरा सबसे बड़ा सहयोग माना जा रहा है. कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और जापान के बीच तकनीकी इंटर्न प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीआईटीपी) के लिए सहयोग के समझौते (एमओसी) पर दस्तखत को मंजूरी दे दी है. प्रधान ने कहा कि उनकी तीन दिन की तोक्यो यात्रा के दौरान इससमझौतेपर मुहर लग सकती है.
वृद्ध होती जनसंख्या बनी मुसीबत
जापान की सबसे बड़ी मुसीबत वृद्ध जनसंख्या है. कभी मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में बादशाहत हासिल करने वाला देश वर्कफोर्स की कमी से जूझ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक अगले 20 सालों की अवधि में जापान में काम करने वाले युवा आबादी की संख्या में 15 प्रतिशत की कमी आयेगी. वहीं जापान की कुल आबादी का 23 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 65 साल से ज्यादा हो गयी है. अपने वृद्ध जनसंख्या के हेल्थकेयर के लिए 2025 तक जापान को जीडीपी का 12 प्रतिशत खर्च करना होगा. जापान ने 100 मिलीयन आबादी का लक्ष्य रखा है. इसके लिए माइग्रेशन नीति में बदलाव की बात कही जा रही है.
दक्षिण कोरिया और चीन ने जापान के मदद से तैयार किये थे स्किल्ड वर्कफोर्स
दक्षिण कोरिया और चीन में स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार करने में जापान का सबसे बड़ा हाथ रहा है. जापानी इंजीनियर सप्तांहात में कोरिया और चीन ट्रेनिंग देने जाते थे. तकनीक और विज्ञान में जापान अन्य एशियाई देशों के मुकाबले काफी आगे रहा है. 80 और 90 के दशक में भारतीय बाजारों में जापानी कंपनी के समान भरे पड़े रहते थे. इनमें पेनासोनिक, हिताची , फूजी, ओरियंट,केशियों, मित्सूूबुशी, लॉजीटेक, मित्सुबिशी, ओलम्पस, सेनसुई, सोनी , तोशिबा शामिल है. इनमें कई कंपनियां आज भी भारत में सक्रिय है और कई कंपनियों की जगह चीनी कंपनियां ने ले ली.
जापान में प्रवासियों को भाषा और संस्कृति मामले में होती है सबसे बड़ी दिक्कत
जापान में प्रवासियों को सबसे ज्यादा समस्या भाषा और संस्कृति को लेकर होती है. अंग्रेजी का ज्यादा प्रचलन नहीं होने की वजह से यूरोपियन देश के लोगों को काफी समस्या होती है. संस्कृति के मामले में यह भारत के काफी करीब हैे. भारतीयों के स्किल डेवलेपमेंट के लिए यह पसंदीदा जगह बन सकता है. मध्य एशिया के कई निर्धन देश काम करने के लिए खाड़ी देशों में कूच करते हैं. जापान ने भारत के 50 हजार युवाओं को नौकरी देने की बात भी कही है.