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बालू का है भंडार, िफर भी लोग परेशान

जहानाबाद : जिले में बालू का भंडार है . बड़ी मात्रा में कई जिलों को बालू आपूर्ति करने वाला जिला जहानाबाद आज खुद बालू के लिए तरस रहा है. एनजीटी ,कोर्ट के निर्देश के बाद बरसात के दिनों में प्रशासनिक स्तर पर नदियों से बालू खनन करने पर रोक लगा दी गयी थी. जुलाई से […]

जहानाबाद : जिले में बालू का भंडार है . बड़ी मात्रा में कई जिलों को बालू आपूर्ति करने वाला जिला जहानाबाद आज खुद बालू के लिए तरस रहा है. एनजीटी ,कोर्ट के निर्देश के बाद बरसात के दिनों में प्रशासनिक स्तर पर नदियों से बालू खनन करने पर रोक लगा दी गयी थी. जुलाई से 30 सितंबर तक लगायी गयी रोक की समय सीमा एक सप्ताह पूर्व ही समाप्त हो गयी है.

बावजूद जिलेवासी को बालू की कमी को जूझना पड़ रहा है. हालांकि विभाग का मानना है कि संवेदक को नदियों को बालू खनन करने का आदेश सरकारी स्तर पर दिया जा चुका है लेकिन रॉयल्टी जमा नहीं होने के कारण बालू का उठाव घाट से नहीं हो पा रहा है. इधर घाटों से ई-चालान नहीं मिलने के कारण बालू का उठाव बंद है. संवेदक द्वारा ई-चालान नहीं दिये जाने के कारण बालू पकड़े जाने पर उसे अवैध करार कर दिया जाता है.

जिसकी वजह से भी बालू का उठाव नहीं हो पा रहा है. 15 सितंबर तक विभाग के तरफ से जिले के संवेदक वंशीधर कंस्ट्रक्शन को रॉयल्टी के रूप में करोड़ों रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया था लेकिन बीते सोमवार तक विभाग में रुपया जमा नहीं हो पाया था. इधर विभाग का कहना था कि जल्द ही बालू का उठाव घाटों से होने की संभावना है. जिले से होकर फल्गु, मोरहर, बलदइया, दरधा सहित आधा दर्जन छोटे-बड़े नदियां का बहाव होता है. नदियों के बड़े भू-भाग में बालू भी काफी मात्रा में है. बड़े क्षेत्रफल में बालू रहने के कारण जिले से दक्षिण बिहार से लेकर उत्तरी बिहार के कई जिलों तक बालू की आपूर्ति होती है.

बालू का बड़ा कारोबार होने से प्रत्येक दिन सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है. बालू का उठाव नहीं होने से सारे लोगों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है. बालू संकट से जूझते लोग सीमावर्ती जिला गया से बालू मंगवा रहे हैं. गया के मेन से बालू आपूर्ति होने के कारण उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकता करना पड़ रहा है. दूर से बालू आने के कारण एक ट्रैक्टर बालू के लिए उपभोक्ता को 2500-3000 रुपये तक बालू की कीमत चुकानी पड़ रही है.

निर्माण कार्य पर पड़ रहा है गहरा असर:महंगा बालू होने के कारण निर्माण कार्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है .घर के निर्माण करने वाले लोग जिले से बालू का उठाव कब शुरू होती है इसका इंतजार कर रहे हैं. बालू की कमी होने के कारण निर्माण कार्य से जुड़े राज कारीगर एवं मजदूरों को अपने घर में जमा पूंजी बैठ कर खाना पड़ रहा है. कारीगर काम की तलाश कर रहे हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा है.
तीन माह से काम पड़ा है ठप:ट्रक मालिकों का कहना है कि जब बालू घाट चालू हो जाती है तो प्रतिदिन हजारों की कमाई होती है लेकिन लगभग तीन माह से बालू का काम ठप पड़ा है. ट्रक खड़ा रहने के कारण नुकसान हो रहा है. गाड़ी नहीं चलने से ड्राइवर से लेकर किस्ती भी चुकाना महंगा सौदा हो रहा है.
विकास कार्य हो रहा है बाधित:
समुचित ढंग से बालू उपलब्ध नहीं होने के कारण सरकारी विकास कार्य पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है. शहर हो या गांव बालू की कमी से विकास कार्य बाधित है. संवेदक निर्माण कार्य में ढील दिये हुए हैं. पुल-पुलिया के निर्माण कार्य पूरा होने में देर हो सकता है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
15 सितंबर तक वंशीधर कंस्ट्रक्शन को करोड़ों रुपये रॉयल्टी के रूप में जमा करने का निर्देश दिया गया था. समय सीमा खत्म होने के बावजूद अभी तक रॉयल्टी जमा नहीं कराया गया है. बालू खनन के लिए संवेदक को विभाग द्वारा आदेश दे दिया गया है लेकिन ई-चालान नहीं होने के कारण परेशानी बढ़ी है. आशा है जल्द ही बालू का उठाव घाटों से होगा.
एमएस चतुर्वेदी, जिला खनन पदाधिकारी, जहानाबाद

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