नयी दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि योग आधुनिक विश्व को भारत का आनमोल तोहफा है और योग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग इस प्राचीन वैज्ञानिक प्रणाली को धार्मिक रंग देकर मानवता को गहरा नुकसान पहुंचा रहे हैं. तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि योग के मूल में सर्व जन: सुखिनो भवंतु है और इसका अध्ययन और उपयोग अन्य चिकित्सा पद्धति की तरह ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग योग को अपनाते हैं, उन्हें मेडिकल बिल भी नहीं भरना पड़ता है. मेडिकल बिल घटाने में इसका अहम योगदान रहता है.
इसे भी पढ़ेंः योग से बनाएं सेहत के साथ सफलता का संयोग
उपराष्ट्रपति ने कहा कि योग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. दुर्भाग्य से कुछ लोग इस प्राचीन वैज्ञानिक पद्धति को धार्मिक रंग पर तूले हैं. ऐसे लोग मानवता को गहरा नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि योग सभी तरह की कसरतों और शारीरिक अभ्यास की जननी है, जिससे न केवल शरीर तंदरुस्त रहता है, बल्कि मानसिक तंदरुस्ती के साथ आध्यात्मिक पोषण मिलता है. उन्होंने अपने चिर-परिचित मजाकिया अंदाज में कहा कि इससे मेडिकल बिल भी नियंत्रण में रहता है.
वेंकैया नायडू ने कहा कि सम्मेलन का मुख्य विषय आज के समय में काफी प्रासंगिक है, क्योंकि यह प्राचीन विज्ञान को समझने का अवसर प्रदान करता है. इसके साथ ही, वर्तमान में बेहतर, स्वस्थ्य और खुशहाल जीवन के बारे में इस ज्ञान के उपयोग के संभावित रास्ते बताता है. उन्होंने घर-घर तक योग को पहुंचाने के लिये बाबा रामदेव की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि आम लोगों के लिए योग सर्वश्रेष्ठ औषधि है, क्योंकि इसका कोई खर्च नहीं है.
उपराष्ट्रपति ने आयुष एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव की ओर संकेत करते हुए कहा कि अगर आप आयुष मंत्रालय को लोकप्रिय बनायेंगे, तब स्वास्थ्य पर आपका खर्च कम हो जायेगा. उन्होंने कहा कि योग हमारी धरोहर है, जो हमें अपने पुरखों से प्राप्त हुई है और हमें इसका संरक्षण करने की जरूरत है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन में योग एवं अवसाद, योग एवं हृदय रोग, योग एवं कैंसर नियंत्रण, योग एवं कष्ट प्रबंधन, योग एवं महिला, महिला एवं प्रसव विकार पर केस स्टडी जैसे विषय लिये गये हैं. ये व्यापक विषय है और इससे स्पष्ट होता है कि योग इन सभी विषयों के प्रबंधन में कितनी प्रभावकारी भूमिका निभा सकता है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है और इस प्रयास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धन्यवाद के पात्र हैं. वेंकैया नायडू ने कहा कि यह धारण गलत है कि योग महज कसरत और शारीरिक अभ्यास है.
वेंकैया ने कहा कि योग एक ऐसी सोच प्रक्रिया है, जो आपकी जीवन पद्धति में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ चित्त को शांत रखता है और सौहार्द कायम रखने में मदद करता है. उन्होंने कहा कि योग को हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनना चाहिए, ताकि हम आधुनिक समय में स्वास्थ्य से जुड़ी दैनिक समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपट सकें. योग से हम आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते हैं और यह हमें अपने अंतर के बारे में समझ बनाने और आसपास शांति स्थापित करने में मदद करता है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में योग स्वास्थय और शारीरिक शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है. योग को अमेरिका जैसे देशों में स्कूलों में भी लोकप्रियता मिल रही है. ब्रिटेन और आॅस्ट्रेलिया जैसे देशों में इसे स्कूलों में शामिल किया गया है. मुझे विश्वास है कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में योग से जुड़े विभिन्न विषयों पर वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में चर्चा होगी तथा सौहार्दपूर्ण विश्व की स्थापना के संदर्भ में इस पर विचार होगा.