पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने 13 अक्तूबर को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है. इस वजह से देश भर में लगभग 54000 पेट्रोल पंप 13 अक्तूबर को बंद रहेंगे. इस हड़ताल की वजह पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने और पेट्रोलियम डीलर्स बेहतर मार्जिन दिये जाने की मांग है.
गौरतलब है कि पेट्रोल पंप संचालकों ने सरकार के समक्ष लंबे समय से अपनी मांग रखी है. और इसे लेकर समय-समय पर हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी है. हर बार सरकार सांत्वना देकर उन्हें मना भी लेती है, लेकिन इस बार पेट्रोलियम डीलर्स असोसिएशन ने अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए देशव्यापी हड़ताल की घोषणा कर डाली है.
समाचार एजेंसी ANI ने ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स के अध्यक्ष अजय बंसल के हवाले से लिखा है कि अगर उन्हें तेल कंपनियों से उचित जवाब नहीं मिलता, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे. अजय बंसल ने कहा, हमारी मांगें डीलर मार्जिन्स और कमीशन को लेकर है. इसके साथ ही उन्होंने आपूर्ति में विसंगति पर नाराजगी जाहिर करते हुए पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने की मांग भी रखी.
If we don't get appropriate response frm oil companies will go on indefinite strike frm 27Oct: Ajay Bansal,All India Petroleum Dealers Assoc pic.twitter.com/lGGHddyim8
— ANI (@ANI) October 7, 2017
वहीं, फेडरेशन ऑफ महाराष्ट्र पेट्रोल डीलर्स असोसिएशन के अध्यक्ष उदय लोधका कहनाहै कि 13 अक्तूबर को पेट्रोल पंप्स बंद रखने का यह निर्णय यूनाइटेड पेट्रोलियम फ्रंट की पहली बैठक में लिया गया. यह फ्रंट देश भर में पेट्रोल डीलर्स के तीन बड़े संगठनों को मिला कर बनाया गया है.
लोध के मुताबिक, यूनाइटेड फ्रंट ने रोज बदल रही कीमतों से उपभोक्ताओं और डीलर्स, दोनों को हो रहे नुकसान पर चिंता जाहिर की है. इसके अलावा, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के तहत लाये जाने की मांग भी की गयी है. लोध ने कहा कि पहले 13 अक्तूबर को देश भर के पेट्रोल/डीजल पंपों पर खरीद-बिक्री नहीं होगी. सरकार ने अगर मांगें नहीं मानी 27 अक्तूबर से अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल शुरू होगी.
यहां यह जानना गौरतलब है कि इससे पूर्व सरकार ने मंगलवार, 3 अक्तूबर को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क दो रुपये प्रति लीटर घटानेकी घोषणा की थी. इस बाबत वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किये गये एक बयान के मुताबिक, भारत सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर मूल उत्पाद शुल्क में दो रुपये प्रति लीटर कमी करने का फैसला किया है, जो चार अक्तूबर यानी बुधवार 4 अक्तूबर से लागू होगा.
उक्त बयान के अनुसार, सरकार ने यह कदम आम लोगों के हितों का ध्यान रखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में वृद्धि के बाद उठाया है. वित्त मंत्रालयने अपने इस बयान में यह भी बताया था कि इस निर्णय से पूरे वर्ष के लिए उत्पाद शुल्क में 26,000 करोड़ रुपये का घाटा होगा और इस वित्तीय वर्ष के बचे हुए समय में 13,000 करोड़ रुपये का घाटा होगा.
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