रांची : गिरिडीह के डुमरी से अपहृत डॉ मानस रंजन को झारखंड और बिहार के अपराधियों ने मिलकर किडनैप किया था. 40 दिनों बाद उन्हें बिहार के आरा में छोड़ा गया. उससे पूर्व उन्हें अपराधियों ने नालंदा, नवादा, रोहतास, सासाराम आदि ग्रामीण क्षेत्रों में रखा गया. मंगलवार को उन्हें चार-पांच घंटे वाहन में घुमाने के बाद अपराधी छोड़ कर चले गये.
इस वारदात को जिस गैंग ने अंजाम दिया है, उसके बारे में पुलिस कुछ भी बताने से परहेज कर रही है. हालांकि अपराधियों को गिरफ्त में लेने के लिए झारखंड और बिहार पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई शुरू कर दी है. यह कार्रवाई उन इलाकों में हो रही है, जहां डॉक्टर को रखे जाने की संभावना रही है.
बुधवार को रांची के खुखरी गेस्ट हाउस में डॉ मानस से आइजी मुरारी लाल मीणा, नवीन कुमार सिंह और हजारीबाग रेंज के डीआइजी भीमसेन टूटी ने पूछताछ की. इसके बाद डॉ अपनी पत्नी के साथ हवाई मार्ग से रांची से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो गये. वे काफी थके नजर आ रहे थे. आइजी मीणा ने बताया कि 40 दिनों तक अपराधियों के कब्जे में रहने के कारण वे मानसिक और शारीरिक रूप से काफी थके नजर आ रहे थे. वे यह बता पाने में असमर्थ थे कि उन्हें रखा कहा गया और किसने उनकी किडनैपिंग की थी. लेकिन वे सकुशल बरामद हो गये, यह अच्छी बात रही.
उल्लेखनीय है कि 23 अगस्त 2017 को जिस वक्त अपराधियों ने डॉक्टर को अपना शिकार बनाया, वे अपनी मर्सडीज कार को खुद ड्राइव करते हुए हाजीपुर से भुवनेश्वर स्थित अपने घर जा रहे थे. तभी गिरिडीह के डुमरी के पास पुलिस की वर्दी में एक और अन्य सादे लिबास में अपराधियों ने पुलिस बनकर उनकी कार को राेका़ डॉक्टर का पूरा पता ठिकाना और काम की जानकारी ली. इसके बाद उनका अपहरण किया था. इससे आशंका जतायी जा रही है कि डॉक्टर को अपहरण करने की योजना अपराधियों की पहले से नहीं थी. बड़ी कार से जाते हुए देखकर उनकी पड़ताल के बाद अपराधियों ने उनके अपहरण को अंजाम दिया. जिस ढंग से इनका अपहरण किया गया, उससे तय है कि उनका अपहरण शातिर अपराधी गिरोह ने नहीं किया है़