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मुजफ्फरपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 1580 करोड़ मंजूर

मुजफ्फरपुर: शहर को स्मार्ट बनाने के लिए 1580 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को इसकी मंजूरी दे दी. कैबिनेट ने तय किया है कि केंद्र व राज्य की ओर से संचालित इस योजना में राज्य सरकार 490 करोड़ रुपये देगी. वहीं पटना को स्मार्ट िसटी बनाने के लिए 2776 करोड़ रुपये […]

मुजफ्फरपुर: शहर को स्मार्ट बनाने के लिए 1580 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को इसकी मंजूरी दे दी. कैबिनेट ने तय किया है कि केंद्र व राज्य की ओर से संचालित इस योजना में राज्य सरकार 490 करोड़ रुपये देगी. वहीं पटना को स्मार्ट िसटी बनाने के लिए 2776 करोड़ रुपये आवंिटत िकये गये हैं. बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता वाली एसपीवी (स्पेशल पर्पस व्हीकल) कंपनी मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी के गठन को भी मंजूरी दे दी गयी है. राज्य सरकार कंपनी के रूप में इसके रजिस्ट्रेशन पर होनेवाले खर्च में 2.5 करोड़ रुपये हिस्सेदारी भी देगी. अब जल्द ही यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया जायेगा.

उम्मीद है कि केंद्र सरकार भी इसे मंजूरी दे देगी. योजना के तहत केंद्र सरकार जिले को स्मार्ट बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये देगी. इसके अलावा सात निश्चय योजना के तहत 14 करोड़, यूएलबी फंड से 173 करोड़ व अन्य योजना मद से करीब 37 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. शेष 290 करोड़ रुपये की व्यवस्था एसपीवी कंपनी को करनी होगी. इसके लिए पीपीपी मॉडल से योजनाओं को पूरा किया जा सकता है.

शहर को स्मार्ट बनाने के लिए प्रस्ताव इकोराइज कंपनी ने तैयार किया है. इसमें शहरी क्षेत्र के 990 एकड़ में फैले क्षेत्र को शामिल किया गया है. इसके अनुसार, कल्याणी, सरैयागंज व सूतापट्टी जैसे इलाकों को पैन सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा. पहले फेज में बैरिया से लेकर कल्याणी तक आधारभूत संरचनाओं के विकास की योजना है. इसमें मुख्य सड़क के चौड़ीकरण का प्रस्ताव भी शामिल है. इसके अलावा सिकंदरपुर मन के सौंदर्यीकरण, जल जमाव से मुक्ति के लिए स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम तैयार करना, इको फ्रेंडली सिटी योजना के तहत सड़क किनारे पौधरोपण, तकनीक का अधिक-से-अधिक उपयोग, प्रमुख चौक-चौराहों व गलियों में सीसीटीवी कैमरे से नजर रखने व नगर निगम को इ-गवर्नेंस लागू करने की भी योजना है.
पीएमसी के चयन की प्रक्रिया जारी
शहर को स्मार्ट बनाने के लिए प्रोजेक्ट मेंटेनेंस कंसल्टेंट (पीएमसी) के चयन की प्रक्रिया जारी है. चयनित कंपनी न सिर्फ स्मार्ट सिटी योजना को जमीन पर उतारने के लिए अपना सुझाव देगी, बल्कि अतिरिक्त राजस्व की उगाही के लिए एसपीवी कंपनी को सुझाव भी देगी. फिलहाल इसके लिए 11 कंपनियों ने रुचि दिखायी है. उसके प्रतिनिधियों के साथ प्रमंडलीय आयुक्त एचआर श्रीनिवास प्री-बिड मीटिंग भी कर चुके हैं. इसमें कंपनी के प्रतिनिधियों ने बिड की शर्तों पर अपने सुझाव भी रखे. जल्दी ही एक और मीटिंग बुलायी जायेगी. पीएमसी का चयन इसी माह होने की उम्मीद है.
पीएमसी के लिए इन कंपनियों ने दिखायी रुचि
दारा शॉ, आरइपीएल, एसआरइआइ, इपिसा, एटको, रोडिक, आइडीसीएल, आइडीआइसीके, मिस बर्जर, वेप कॉप, गुड़गांव, वोयांट्स, एसडब्ल्यूसी, पीडब्ल्यूसी, एसआरइआइ, वेस्ट व एसपीइवाइ.
कैबिनेट के फैसले
पटना. राज्य सरकार ने स्वच्छता अभियान को नया मुकाम देने और शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक को स्वच्छ बनाने के लिए मुख्यमंत्री आदर्श निकाय प्रोत्साहन योजना में अहम बदलाव किये हैं. इसके तहत अब उन्हीं नगर निगम, नगर पर्षदों और नगर पंचायतों को इनाम मिलेगा, जो ओडीएफ होंगे. स्वच्छ भारत अभियान के तहत ज्यादा-से-ज्यादा निकायों को पूर्ण स्वच्छ घोषित करने के लिए यह पहल खासतौर से की गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया. इसमें कुल 24 एजेंडों पर मुहर लगी. कैबिनेट की बैठक के बाद अपर सचिव उपेंद्रनाथ पांडेय ने बताया कि राज्य सरकार ने आम लोगों के निवेश को सुरक्षित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनायी गयी ‘इनामी चिट एवं धन परिचालन (पाबंदी)अधिनियम, 1978’ के अधीन बिहार धन परिचालन स्कीम (पाबंदी) नियमावली, 2017 को मंजूरी देते हुए इसे राज्य में लागू कर दिया है. इसके तहत राज्य में नेटवर्क मार्केटिंग के जरिये आम लोगों से पैसे जमा करने वाली कंपनियों पर भी उसी तरह से कार्रवाई की जायेगी, जैसी कार्रवाई फर्जी कारोबार करने वाली चिट-फंड कंपनियों पर होती है. ऐसी कंपनियां, जो आम लोगों से इस तरीके से पैसे ठग लेती हैं या अभी पैसे जमा करवा रही हैं, उन पर सख्त नजर रखी जायेगी. इन कंपनियों पर नकेल कसने के लिए इस एक्ट के तमाम प्रावधानों को लागू किया जायेगा. इसके अंतर्गत प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तरीके से ग्राहकों से पैसे जमा कराने वाली ऐसी तमाम कंपनियों पर कार्रवाई की जायेगी. इस नये नियम की जद में वे कंपनियां भी आयेंगी, जो टैक्स बचत करने या प्रति कर योजना के नाम पर आम लोगों से पैसे जमा करवाती हैं.
कृषि रोड मैप : 1.54 लाख करोड़
कृषि रोड मैप के तहत 2017 से 2022 के बीच 12 विभागों के लिए 1.54 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की स्वीकृति दी गयी है. इसके तहत सभी संबंधित विभागों में विशेष तौर पर योजनाएं चलायी जायेंगी, जिनके लिए अलग-अलग राशि विभागवार योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आवंटित की गयी है. ये रुपये विभागवार पांच वर्षों में कृषि या इससे जुड़ी योजनाओं में खर्च किये जायेंगे.
इन विभागों को मिले इतने रुपये (करोड़ में)
कृषि : 21,612, पशु ए‌वं मत्स्य संसाधन: 5,685, ग्रामीण कार्य: 52,935, लघु जल संसाधन: 25,777, जल संसाधन: 24,614, सहकारिता: 6131, गन्ना: 1090, राजस्व एवं भूमि सुधार: 432, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण: 2262, ऊर्जा: 7070, पर्यावरण एवं वन संरक्षण: 2,435, और खाद्य प्रसंस्करण: 4,588.

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