उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल पिछले कुछ दिनों से चर्चा में हैं. वजह है उनका एक ऐसा काम, जो उन्हें सरकारी अधिकारियों के बीच प्रेरक बनाता है.
दरअसल, मंगेश जिस जिले में पदस्थापित हैं, वहां के एक स्कूल में कोई साइंस टीचर नहीं थी. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी.
इसकी जानकारी मिलने पर उनके मन मेंएक विचार आया. उन्होंने पत्नी को इस बारे में बताया और उन्हें बच्चों के लिए साइंस टीचर की जिम्मेवारी उठाने के लिए तैयार कर लिया.
जरा सोचिए, जिसके ऊपर पूरे जिले की जिम्मेवारी हो, उसे एक छोटे से सरकारी स्कूल के बच्चों केभविष्य की कितनी फिक्र होगी! यही बात मंगेश घिल्डियाल को औरों से अलग बनाती है.
…और पत्नी तैयार हो गयीं
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश इस बारे में बतातेहैं, मैं रूटीन चेक पर गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कॉलेज गया हुआ था. वहां मुझे पता चला कि छात्राओं को पढ़ाने के लिए कॉलेज में साइंस के टीचर नहीं है.
मैंने पत्नी से बात की और चूंकि वह इन दिनों वह घर पर ही हैं, ऐसे में वह इसके लिए तैयार हो गयीं. कॉलेज के प्रधानाध्यापक से जब इस बारे में बात की गयी, तो उन्होंने डीएम साहब के इस फैसले का स्वागत किया और वह इसके लिए सहर्ष तैयार हो गये.
ताकि प्रभावित न हो बच्चों की पढ़ाई
मंगेश ने कहते हैं, चूंकि सरकारी कामकाज की प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है, ऐसे में साइंस टीचर की नियुक्ति की बाट जोहने में बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता. ऐसे में मैंने ऊषा से बात की.
ऊषा ने पंतनगर यूनिवर्सिटी से प्लांट पैथोलॉजी में पीएचडी की है. इधर शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बच्चों को स्थायी साइंस टीचर मिल जायेगी. तब तक ऊषा अवैतनिक रूप से वहां अपनी सेवाएं देती रहेंगी.
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कार्यशैली से छोड़ी छाप
यहां यह जानना गौरतलब है कि मंगेश घिल्डियाल 2011 बैच के IAS अफसर हैं. उन्होंने UPSC की परीक्षा में पूरे देश में चौथा स्थान हासिल किया था. अपनी अलग तरह की कार्यशैली की वजह से मंगेश ने हमेशा ही एक अलग छवि तैयार की है.
इसी साल मई महीने में जब उनका बागेश्वर जिले से ट्रांसफर हो रहा था, तो वहां के लोग विरोध में सड़कों पर उतर आये थे. इस ट्रांसफर के पीछे राजनीतिक कारण बताये जाते हैं. लेकिन कहते हैं कि हीरा जहां जाता है, अपनी चमक वहीं बिखेरता है.
नि:शुल्क करियर कोचिंग की पहल
रुद्रप्रयाग में शिक्षा कीबिगड़ी स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी मंगेश ने एक पहल शुरू की है. उन्होंने जिले के कुछ प्रशासनिक अधिकारियोंके साथ एक टीम तैयार की है. यहटीम जिले के स्कूलों में जाकर बच्चों को उनकी रुचि का करियर चुनने में मार्गदर्शन करती है.
इसके अलावा, गवर्मेंट इंटर कॉलेज में वह नियमित रूप से 50 अभ्यर्थियों को सीपीएमटी, यूपीएमटी, पीसीएस, आइपीएस, आइएएस, यूपीएससी सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाअों की तैयारी की कोचिंग दे रहे हैं.
कोचिंग लेने पहुंच रहे छात्र/छात्राओं को अंग्रेजीऔर हिंदी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और सफल होने के टिप्स दिये जा रहे हैं.
ताकि पहाड़ों से पलायन रुके
इस बारे में मंगेश कहते हैं कि ऐसे छात्र-छात्राएं जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के तहत कोचिंग का खर्चा नहीं उठा पाते हैं, उनके लिए हम नि:शुल्क कोचिंग मुहैया करा रहे हैं.
इसके पीछे एक वजह यह है कि शिक्षा की तलाशमेंयुवाओं का पहाड़ों पर से पलायन रुके. जिले के एसपी, एसडीएम सदरसहितप्रशासनिक स्तर के कुछ अधिकारी इसमें हमारा सहयोग कर रहे हैं.
आनेवाले दिनों मेंकुछऔर अधिकारी भी इससे जुड़ेंगे, जिन्हें किसी विषय क्षेत्र में महारत हासिल हैं. हमारी कोशिश है कि इसकेजरियेयहांके लोगों के जीवन में कुछ बदलावलासकें.