हैदराबाद : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने सुझाव दिया है कि जम्मू-कश्मीर में सेना को बैरकों में वापस चले जाना चाहिए. आतंकवाद विरोधी अभियान का जिम्मा सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के हवाले कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह वहां के लोगों के जेहन पर मरहम की तरह काम करेगा.
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हमारी खुद की गलतियों की वजह से पाकिस्तान अनिवार्य तीसरा पक्ष बन गया है. यहां ‘कश्मीर : अब और आगे का रास्ता’ विषय पर एक परिचर्चा में सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में हमारे अपने लोगों से तुरंत बातचीत पर बल दिया. कहा कि वहां पहले ही काफी हिंसा हो चुकी है और सुरक्षा बलों समेत काफी जानें जा चुकी हैं. अब इसे खत्म करने का वक्त आ गया है.
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सिन्हा ने कहा कि यह अब सेना की प्राथमिक जिम्मेदारी बन गयी है कि वह जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद के खिलाफ जंग में सबसे आगे रहे. सिन्हा ने कहा, ‘गांवों और कस्बों में जहां आतंकवाद की स्थिति है, तो सबसे आगे भारतीय सेना है, उसके बाद सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस है.’
पूर्व मंत्री ने कहा कि वह आंतरिक कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने में सशस्त्र बलों के अत्यधिक इस्तेमाल के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा,“अब स्थिति है कि सेना वापस बैरकों में जाये, अभियान (आतंकवाद के खिलाफ) को सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ दें.’
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उन्होंने कहा, ‘यह लोगों के जेहन पर मरहम की तरह काम करेगा.’ उन्होंने दलील दी कि सीआरपीएफ आतंकवाद को संभालने के लिए पूरी तरह सुसज्जित और प्रशिक्षित है, जैसे वे देश में वामपंथी चरमपंथ से स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर निपट रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर एक राजनीतिक समस्या थी और लोग चाहते हैं कि वार्ता प्रक्रिया शुरू हो, जैसा उनसे वादा किया गया था. जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में लोगों ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिये गये संदेश का स्वागत किया था, जिसमें उन्होंने जोर दिया था कि कश्मीर की समस्या न गाली से हल होगी, न गोली से, बल्कि कश्मीरियों को गले लगाने से होगी.
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भाजपा नेता ने कहा, ‘वे एक राजनीतिक प्रक्रिया की शुरुआत की तरफ देख रहे हैं. लेकिन, पहला काम आंतरिक हिस्सेदारों की पहचान करना है. पहले अपना मन बनाइये कि कौन हिस्सेदार हैं. उनकी पहचान होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘स्वाभाविक है कि हिस्सेदार जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल, नागरिक समाज समूह, प्रबुद्ध लोग, व्यापार संगठन, युवा और विभिन्न क्षेत्र होंगे.’
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद हमें यह फैसला करना होगा कि वार्ताकार कौन होंगे. उन्होंने कहा कि जिस दिन केंद्र वार्ता प्रक्रिया शुरू करने के लिए इच्छा दिखायेगा और घोषणा करेगा कि अमुक व्यक्ति बातचीत करेंगे, राज्य की स्थिति में नाटकीय रूप से सुधार देखने को मिलेगा.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे अपने लोगों से वार्ता प्रक्रिया शुरू करते हैं. जम्मू और कश्मीर राज्य में हमारे अपने नागरिक. यह वार्ता प्रक्रिया शुरू करने का वक्त है, क्योंकि कोई भी इन्सान हिंसा नहीं चाहता. लोग शांति चाहते हैं.’
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सिन्हा ने कहा, ‘इसके साथ शीघ्रता जुड़ी है, क्योंकि लोग परेशान हो रहे हैं. यह पूरी तरह हमारी गलती है कि कश्मीर के लोग हमसे अलग-थलग हो गये और (चूंकि) हम उन्हें अपने लोग मानते हैं, यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन तक पहुंचें और इस दूरी को कम करें और इसे खत्म करना सुनिश्चित करें.’
उन्होंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, उन्होंने इस वार्ता का फैसला किया और तब के उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी को इसके लिए नामित किया था. सिन्हा ने सलाह दीकि सरकार को अब यह फैसला करना होगा कि वार्ताकार कौन होगा और चर्चा के लिए समयसीमा तय करनी होगी और इस अवधि के अंदर बातचीत खत्म करनी होगी.
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उन्होंने कहा, ‘भविष्य में किसी वक्त हमें पाकिस्तान से बातचीत करनी होगी, लेकिन यह हमें जम्मू-कश्मीर में अपने लोगों के साथ वार्ता प्रक्रिया शुरू करने से नहीं रोक सकती. हमें पाकिस्तान को उसका यह वादा पूरा करवाना होगा कि वह आतंक और हिंसा का निर्यात बंद करेगा.’
एक अलग टिप्पणी में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी किसी भी तरह से अच्छा विचार नहीं था और इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए था, क्योंकि इसका अर्थव्यवस्था पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा. यहां एक टीवी चैनल से बातचीत में सिन्हा ने यह भी कहा कि जीएसटी को लागू किया जाना त्रुटिपूर्ण था और जीएसटीके डिजाइन में करने को काफी कुछ था.