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मुसीबत बना अल्ट्रासाउंड सदर अस्पताल. दो साल से रेडियोलॉजिस्ट का पद है खाली

निजी क्लीनिकों का लेना पड़ रहा सहारा गरीब मरीजों को हो रही परेशानी बिहारशरीफ : सरकारी अस्पताल में मामूली पैसे देकर होने वाले अल्ट्रासाउंड के मरीज अब भारी रकम देकर प्राइवेट संस्थान में करा रहे हैं. जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में पिछले दो साल से रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली होने के कारण अल्ट्रासाउंड […]

निजी क्लीनिकों का लेना पड़ रहा सहारा

गरीब मरीजों को हो रही परेशानी
बिहारशरीफ : सरकारी अस्पताल में मामूली पैसे देकर होने वाले अल्ट्रासाउंड के मरीज अब भारी रकम देकर प्राइवेट संस्थान में करा रहे हैं. जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में पिछले दो साल से रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली होने के कारण अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लगा हुआ है. सदर अस्पताल में औसतन 20 मरीज प्रतिदिन ऐसे आते हैं, जिन्हें अल्ट्रासाउंड कराना होता है. लेकिन अस्पताल में व्यवस्था नहीं होने के कारण प्राइवेट में उन्हें 500-700 रुपये देकर जांच करानी पड़ रही है.
निजी अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों का सहारा ले रहे मरीज: जरूरतमंद मरीज अल्ट्रासाउंड सेवा के लिए शहर की निजी अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों का सहारा लेने को विवश हैं. अस्पताल में इसकी सुविधा उपलब्ध नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी जिले के गरीब तबके के मरीजों को उठानी पड़ रही है. वे चाहकर भी निजी केंद्रों में अपनी जांच कराने में सक्षम नहीं हो पाते हैं.
क्योंकि निजी सेवा का सहारा लेने पर उन्हें जेब ढीली करनी पड़ेगी. पर अफसोस है कि गरीब मरीजों की जेब इसका खर्च वहन करने में सक्षम नहीं है.लिहाजा गरीब मरीज पटना जाने को विवश हो जाते हैं.सुखी संपन्न तबके के रोगी तो शहर स्थित निजी केंद्रों में जाकर अपनी बीमारियों की जांच कराकर इलाज आसानी करा लेते हैं.सदर अस्पताल में हर दिन एक दर्जन से अधिक मरीज इस सेवा से वंचित हो रहे हैं.
कक्ष में लगी महंगी मशीन खराब हो रही:
अस्पताल के अल्ट्रासाउंड कक्ष में रेडियोलॉजिस्ट पदस्थापित नहीं हैं.लिहाजा इसकी सेवा मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है.कक्ष में करीब दो साल से ताला लटका हुआ है.कक्ष में लगी मशीन एक तरह से धूल फांक रही है. मरीजों का इंतजार है कि कब इस कक्ष का ताला खुलता है. यानी की सरकार की ओर रेडियोलॉजिस्ट की पदस्थापना होती है. ताकि इसकी सेवा पुन:शुरू हो सके.
अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद रहने से मायूसी
सदर अस्पताल में रोगियों को अल्ट्रासाउंड सेवा उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था तो जरूर है. लेकिन पिछले करीब दो साल से अधिक समय से अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लटका हुआ है. लिहाजा हर दिन रोगियों को फजीहत उठानी पड़ती है. मालूम हो कि सदर अस्पताल में कई साल पहले पीपी मोड पर यह सुविधा शुरू की गयी थी. लेकिन दो साल से अधिक समय से यह सेवा मरीजों को नहीं मिल पा रही है. लिहाजा हरदिन इस सेवा के जरूरतमंद रोगियों को दिक्कत होती है. मरीज जब डॉक्टर के परामर्श के अनुसार जब इसकी सेवा के लिए अल्ट्रासाउंड कक्ष की ओर कदम बढ़ाते हैं और कक्ष के पास पहुंचते हैं तो ताला लटका देख मायूस हो जाते हैं. एेसे मरीज मायूस होकर वहां से वापस लौट जाते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
सदर अस्पताल की अलट्रासाउंड सेवा मरीजों को रेडियोलॉजिस्ट की पोस्टिंग नहीं होने से नहीं मिल पा रही है. यह पद रिक्त है. इस सेवा को चालू करने की दिशा में विभागीय पहल की जा रही है. विभाग को रेडियोलॉजिस्ट की पदस्थापना के लिए लिखा गया है.
डॉ सुबोध प्रसाद सिंह,सिविल सर्जन,नालंदा

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