उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने विश्व पर्यटन दिवस पर जारी की गयी बुकलेट ‘उत्तर प्रदेश पर्यटन – अपार संभावनाएं’ में ताजमहल को जगह नहीं दी गयी है.
इस बुकलेट में वाराणसी की गंगा आरती, गोरखपुर के गोरक्ष पीठ, मथुरा-वृंदावन, अयोध्या सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को जगह दी गयी है.
लेकिन दुनिया के सात अजूबों में से एक और दुनिया भर के लोगों के आकर्षण का केंद्र ताजमहल को यूपी के टूरिस्ट डेस्टिनेशंस की इस लिस्ट में क्यों शामिल नहीं किया गया, सरकार की तरफ से अभी तक इस बारेमें आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.
इस नयी बुकलेट का पहला पन्ना बनारस की गंगा आरती को समर्पित है. गंगा आरती केविहंगम दृश्य के साथ दूसरे पन्नेपर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी की तस्वीर है. इस तस्वीर के साथ बुकलेट का उद्देश्य लिखा है. उसके आगे पर्यटन विकास योजनाओं के बारे में जगह दी गयी है.
यहां यह जानना गौरतलब है कि इस बुकलेट में अयोध्या और रामलीला के चित्रों को जगह दी गयी है. ईको टूरिज्म से लेकर मंदिर टूरिज्म तक को इस बुकलेट में जगह मिली है, लेकिन ताजमहल को नहीं.
देखते-देखते इस मामले ने तूल पकड़लियाऔर राज्य की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी काेसफाई देनी पड़ी. उन्होंने कहा है – ताजमहल हमारी सांस्कृतिक धरोहर, प्राथमिकता है.
ताजमहल को लेकर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल इस साल जून महीने में ही उठने लगे थे, जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा थाकि उनके अनुसार भारत की संस्कृति और विरासत को रामायण और गीता दर्शाते हैं, न कि ताजमहल.
योगी आदित्यनाथ ने ताजमहल पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अब जब किसी देश के प्रमुख भारत के दौरे पर आते हैं, तो उन्हें ताजमहल का नमूना उपहार नहीं दिया जाता क्योंकि वह गैर भारतीय है और देश को प्रतिबिंबित नहीं करता. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब महत्वपूर्ण हस्तियों को हिंदू धर्म की धार्मिक पुस्तक गीता भेंटकी जाती है.
इस बुकलेट मेंसंकटमोचन हनुमान मंदिर, मथुरा, रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट, सरयू की आरती, शाकम्बरी माता मंदिर, चुनार का किला को भी जगह दी गयी है. लेकिन जो चीज यहां सबसे ज्यादा अखरती है, वह है शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज महल के प्रेम का प्रतीक ताजमहल की गैरमौजूदगी.