नयी दिल्ली : राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख सचिन पायलट ने कहा है कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी की कमान संभाल लेनी चाहिए तथा वह दिवाली के कुछ समय के बाद यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं के अंतिम नाम को राजनीति में कोई अयोग्यता नहीं समझा जाना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस के संगठन चुनाव में क्या राहुल गांधी को पार्टी की कमान संभालनी चाहिए, सचिन ने कहा, पार्टी में आम भावना तो यही है.
श्री गांधी को पार्टी की कमान संभालनी चाहिए. हालांकि उपाध्यक्ष के रुप में वह अभी भी पार्टी के अधिकतर कामों को अंजाम दे रहे हैं. अब समय आ गया है कि उन्हें यह जिम्मेदारी संभाल लेनी चाहिए. वैसे स्वयं उन्होंने भी कहा है कि वह इसके लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, संगठनात्मक चुनाव कांग्रेस में चल रहे हैं. नये अध्यक्ष दिवाली के बाद जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. इसकी योजना काफी समय से चल रही है. राहुल ने पिछले माह अमेरिका यात्रा के दौरान कहा था कि वह कांग्रेस नेतृत्व का उत्तरदायित्व संभालने के लिए तैयार हैं.
प्रियंका को क्या राजनीति में आना चाहिए, इस प्रश्न के उत्तर में सचिन ने कहा, यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है. मेरा मानना है कि वह कांग्रेस परिवार से संबंधित हैं और जरुरत पड़ने पर अपना योगदान देती हैं. वह सक्रिय राजनीति में आयें या नहीं, यह उनका एवं उनके परिवार का निजी फैसला होगा.
कांग्रेस में बुजुर्ग पीढी को युवाओं को रास्ता देने के बारे में सवाल करने पर उन्होंने कहा, वैसे तो यह एक स्वाभाविक क्रम है. पर बात मौका देने की नहीं सबको साथ लेकर चलने की है. ऐसा नहीं है कि कोई कट आफ डेट होनी चाहिए. उन्होंने केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री के लिए कथित आयु मापदंड पर चुटकी लेते हुए कहा, राजनीति में मापदंड चयन के लिए नहीं बल्कि लोगों को हटाने के लिए बनाये जाते हैं. हमें पुरानी पीढ़ी के अनुभवों का पूरा लाभ उठाना चाहिए.
हम (कांग्रेस) भाजपा की तरह मार्गदर्शक मंडल बनाने में विश्वास नहीं करते. भाजपा के मार्गदर्शक मंडल से बढ़कर कोई मजाक नहीं हो सकता. आज (लालकृष्ण) आडवाणीजी और (यशवंत) सिन्हाजी की क्या हालत बना रखी है, आप भाजपा वालों से पूछ सकते हैं. हमारे यहां ऐसा नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि इसमें अच्छा मिश्रण होना चाहिए. साथ ही बदलाव भी होते रहने चाहिए.
आजादी के बाद कांग्रेस ने भी समय समय पर अपनी सोच में बदलाव किया है. वंशवादी राजनीति के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर सचिन ने अपना उदाहरण देते हुए कहा, मेरा मानना है कि इसमें विचार करने वाली बात यह है कि आपका कामकाज, प्रदर्शन कैसा है. आपको टिकट तो मिल गया किन्तु अंतिम निर्णय तो लाखों लोग करते हैं. महज आपके अंतिम नाम की वजह से आप बहुत दूरी तक नहीं जा पायेंगे.
आपको अपना दिलो-जान लगाना पड़ता है. बहुत सारे परिवार हैं जिनके सदस्यों ने राजनीति में आने का प्रयास किया पर वे सफल नहीं हुए. उन्होंने कहा, आप काम करोगे, जनता के बीच रहोगे तो जीतोगे. किसी के बेटे-भतीजे होने से ही सब कुछ नहीं हो जाता. जनता के बीच अपनी पैठ बनानी होगी.
सचिन ने भाजपा द्वारा कांग्रेस पर वंशवादी राजनीति का आरोप लगाने का जिक्र करते हुए कहा, आप राजस्थान की मुख्यमंत्री (वसुंधरा राजे) को ही देखिए. उनका पुत्र सांसद है. उनकी एक बहन मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री है. उनकी मां भाजपा की संस्थापक सदस्यों में थीं. उन्होंने कहा, यह कहना कि वंशवादी राजनीति केवल एक पार्टी में है.
सत्य के कोसों दूर है. हम इस वास्तविकता को स्वीकार करते हैं कि यदि किसी में क्षमता है, वह परिणाम दे सकता है तो उसे मौका मिलना चाहिए. भाजपा को दूसरों पर अंगुली उठाने से पहले अपनी तरफ भी देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह न तो वंशवादी राजनीति का प्रोत्साहन करते हैं न ही इसकी निंदा करते हैं. आप जनता पर किसी को थोप नहीं सकते.