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सोशल: ”56 इंच की छाती वाले के हाथों रावण ने मरने से इंकार किया”

शनिवार को विजयदशमी देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाई गई. देश के अलग-अलग हिस्सों में बुराई के प्रतीक माने जाने वाले रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन किया गया. दिल्ली के लाल किला मैदान पर आयोजित दशहरा पर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रावण के पुतले का दहन किया. लेकिन इस मौके […]

शनिवार को विजयदशमी देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाई गई. देश के अलग-अलग हिस्सों में बुराई के प्रतीक माने जाने वाले रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन किया गया.

दिल्ली के लाल किला मैदान पर आयोजित दशहरा पर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रावण के पुतले का दहन किया. लेकिन इस मौके पर रावण के पुतले पर निशाना लगाने के लिए मोदी ने जैसे ही धनुष की प्रत्यंचा पर तीर रखकर उसे छोड़ने की कोशिश तो प्रत्यंचा टूट गई.

उस समय पीएम मोदी के पास ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी खड़े थे. धनुष टूटने पर मोदी के चेहरे पर मुस्कान तैर गई और उन्होंने तीर को भाले की तरह उठाकर रावण के पुतले की तरफ फेंक दिया.

इससे पहले ख़बर मिली थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किला मैदान पहुंचने से कुछ घंटे पहले रावण का पुतला तेज़ हवा की वजह से गिर गया था. इसके बाद पुतले को तुरंत ठीक कर दोबारा खड़ा किया गया था.

पीएम मोदी द्वारा रावण दहन के वक्त धनुष के टूटने की घटना पर सोशल मीडिया पर लोगों ने कुछ मजेदार पोस्ट किए.

संजीव चंदन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘सफेद बालों वाले 56 इंची छाती से संपन्न युवा नरेंद्र के हाथों रावण ने मरने से इनकार कर दिया, अनिष्ट और अपशकुन यह कि धनुष बाण छोड़ने के पहले टूट गया.’

साइलेंट स्ट्रोम नाम के ट्वीटर यूजर ने लिखा, ‘मोदी जी के हाथों में भारत की अर्थव्यवस्था है, और मनमोहन सिंह बेचारगी में इसे देख रहे हैं.’

स्ट्रिंगर नामक ट्वीट अकाउंट से लिखा गया, ‘जहांपनाह आप कृपा करके शिकार के लिए न जाएं, शिकार खुद आप से माफी मांग कर चला जाएगा."

प्रियभांशु रंजन ने फेसबुक में लिखा, ‘आरएसएस-बीजेपी की लिखी रामायण में बताया जाएगा, राम ने तीर फेंक कर रावण का वध किया था.’

प्रताप सिंह राणा ने ट्विटर पर लिखा, ‘जरूर रावण को विपक्ष वालों ने स्पॉन्सर किया होगा, इसलिए मोदी जी को अस्त्र-शस्त्र में देख के खुद गिर गया होगा.’

मोहित पसरीचा ने लिखा, ‘धनुष टूट गया मगर कोई परशुराम नहीं आया, संभवतः वो भी अब भाजपा मार्गदर्शन समिति में है."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर अपने भाषण में कहा, ‘हमारे उत्सव खेत-खलिहानों, इतिहास, सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े हुए हैं. हम सभी 2022 तक एक नागरिक के नाते देश में कुछ न कुछ सकारात्मक योगदान देने का संकल्प लें.’

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