सुपौल : किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य किसानों को समुचित और यथासमय कृषि ऋण मुहैया कराना है. ताकि कृषि कार्य में लगने वाली उनकी वित्तीय जरूरतें पूरी हो सके. लेकिन जिले भर के अधिकांश बैंक शाखाओं के लिए केसीसी योजना कामधेनु साबित हो रहा है. बीते दिनों उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक शाखा बसबिट्टी में लाखों की राशि की हेराफेरी का मामला महज एक उदाहरण है.
जानकारों की माने तो इस मामले की गहनता के साथ जांच करायी जाय तो केसीसी ऋण मामले में अधिकांश बैंक शाखा की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. मालूम हो कि केसीसी योजना एक क्रेडिट प्रणाली है जिसके द्वारा किसानों को सस्ती वित्तीय सहायता देकर कृषि क्षेत्र हेतु ऋण आवश्यकताओं को पूरा कराना है. यह राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा आरबीआई की सिफारिशों पर तैयार की गई. साथ ही भारतीय बैंकों द्वारा अगस्त 1998 में शुरू की गई एक योजना है.
यह कार्ड सार्वजनिक बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा दिया जाता है. गौरतलब है कि मजदूरों की कमी व पर्याप्त मात्रा में कृषक संयंत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण किसानों के समक्ष समय का अभाव रहता है. साथ ही केसीसी ऋण पाने के लिए संबंधित बैंक शाखा के नियम के अनुरूप ही कार्य करना पड़ता है. कई किसानों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि वे केसीसी ऋण पाने के लिए बैंक शाखा को आवेदन दिया. जहां बैंक शाखा द्वारा सारी प्रक्रिया पूरी कर लिये जाने के बाद बेवजह परेशान किया जा रहा था. किसानों ने बताया कि वे भी अडिग थे कि केसीसी मिले या ना मिले वे बैंक कर्मियों को चढ़ावा नहीं देंगे. बताया कि ऐसे बहुतेरे किसान हैं. जिनसे कागजी प्रक्रिया पूर्ण कराने के बाद भी योजना का लाभ उपलब्ध नहीं कराया जाता है. साथ ही संबंधितों को सूचना दिये बगैर उक्त राशि की निकासी कर ली जाती है. यूबीजीबी शाखा बसबट्टी में उजागर हुए मामले यही प्रदर्शित कर रहा है.