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अनोखा है मोतीलेदा का छाता मेला

मान्यता है कि यहां पूजा के दिन इलाके में होती है झमाझम बारिश मेला के शुरुआती वर्षों में छाता लेकर पूजा करने आते थे श्रद्धालु गिरिडीह : मोतीलेदा में विजयादशमी के दूसरे दिन आयोजित होने वाला छाता मेला अपने आप में अनोखा है. मेला में लोग न केवल खेल तमाशे का लुत्फ उठाते हैं, बल्कि […]

मान्यता है कि यहां पूजा के दिन इलाके में होती है झमाझम बारिश
मेला के शुरुआती वर्षों में छाता लेकर पूजा करने आते थे श्रद्धालु
गिरिडीह : मोतीलेदा में विजयादशमी के दूसरे दिन आयोजित होने वाला छाता मेला अपने आप में अनोखा है. मेला में लोग न केवल खेल तमाशे का लुत्फ उठाते हैं, बल्कि यहां झूमर खेलने भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं. यह परंपरा पिछली तीन पीढ़ियों से चली आ रही है. गिरिडीह शहर से सटे बेंगाबाद प्रखंड के मोतीलेदा गांव में आयोजित होने वाला यह मेला काफी प्रसिद्ध है.
यहां गिरिडीह, जमुआ, गांडेय, देवरी, बिरनी आदि प्रखंडों से भी लोग पहुंचते हैं. कहा जाता है कि जिस दिन यहां पूजा होती थी उस दिन इस क्षेत्र में भारी बारिश होती थी. पूजा के लिए लोग छाता लेकर आते हैं. इसी कारण मेला का नाम छाता मेला पड़ गया. मेला का आयोजन शुरू होने के करीब 40 वर्ष बाद स्थानीय सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति ने यहां प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की थी.

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