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लिंगायत मसले पर इस भाजपा नेता ने कांग्रेस को कहा षड़यंत्रकारी

नयी दिल्लीः कर्नाटक में लिंगायत समुदाय से जुड़े विवाद से भाजपा ने कांग्रेस को जोड़कर देश की राजनीति में एक नया मोड़ दे दिया है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव आैर कर्नाटक मामलों के प्रभारी मुरलीधर राव ने एक खास बातचीत में कर्नाटक के लिंगायत समुदाय से जुड़े विवाद को भाजपा ने कांग्रेस का हिंदुओं को […]

नयी दिल्लीः कर्नाटक में लिंगायत समुदाय से जुड़े विवाद से भाजपा ने कांग्रेस को जोड़कर देश की राजनीति में एक नया मोड़ दे दिया है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव आैर कर्नाटक मामलों के प्रभारी मुरलीधर राव ने एक खास बातचीत में कर्नाटक के लिंगायत समुदाय से जुड़े विवाद को भाजपा ने कांग्रेस का हिंदुओं को बांटने और अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का षड्यंत्र बताया. राव ने दावा किया है कि प्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनायेगी.

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भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव आैर कर्नाटक मामलों के पार्टी प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा कि कर्नाटक में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. यह पूछे जाने पर कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की एक वर्ग का अलग धर्म घोषित करने की मांग को प्रदेश कांग्रेस खास तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के समर्थन से भाजपा के लिए क्या चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं?

इस सवाल के जवाब में राव ने कहा कि कांग्रेस की पूरी राजनीति जाति, धर्म, पंथ के आधार पर लोगों को बांटने और तुष्टीकरण की राजनीति के माध्यम से सत्ता हासिल करने की अवधारणा पर आधारित है. कांग्रेस नेतृत्व एक तरफ हिंदुओं को बांटने और दूसरी तरफ भय दिखाकर किसी न किसी तरह से अल्पसंख्यकों को एक रखने की नीति का अनुसरण कर रहा है. इस रणनीति पर कांग्रेस वर्षों से चल रही है.

भाजपा महासचिव ने कहा कि लिंगायत समुदाय काफी समझदार और संगठित है. लिंगायत समुदाय को बांटने के पीछे कारण समाज और संत समझ चुके हैं. लिंगायत समुदाय को बांटने का कांग्रेस का षड्यंत्र नहीं चलेगा, यह बात कांग्रेस को स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए. यह पूछे जाने पर कि एसएम कृष्णा समेत कांग्रेस के कुछ नेताओं के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को किस प्रकार के लाभ मिलने की उम्मीद है,

मुरलीधर राव ने कहा कि कृष्णा एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं. कर्इ वर्षों से राजनीतिक धरातल पर मजबूत नेता रहे हैं, जिसका समाज और अनेक वर्गो पर प्रभाव रहा है. इसके अलावा, भी कई नेता भाजपा में शामिल हुए हैं. इसका सबसे अधिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव कांग्रेस पर पड़ रहा है कि उसके बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता कांग्रेस को इसलिए छोड़ रहे हैं, क्योंकि वे समझ गये हैं कि कांग्रेस डूबने वाली नाव है. यह यथार्थ है और कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं को यह बात स्पष्ट रूप से समझ में आ रहा है. कुछ नेताओं पर कानून अनुपालन एजेंसियों की कार्रवार्इ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कानून अपना काम करता ही है. मुरलीधर राव ने आरोप लगाया कि सुशासन और विकास के मुद्दे पर कांग्रेस के पास कहने के लिए कुछ नहीं है और सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली सरकार भ्रष्टतम सरकार है और उसकी दृष्टि विकास से कोसो दूर है. इसलिए कर्नाटक में वह नकारात्मक राजनीति के आसरे है.

गौरतलब है कि लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है. कर्नाटक की आबादी का 18 फीसदी लिंगायत हैं. महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायत समुदाय के लोगों की अच्छी खासी आबादी है. कुछ समय से लिंगायत समुदाय का एक वर्ग अलग धर्म की मांग को लेकर अभियान चला रहा है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इनकी मांग का समर्थन कर चुके हैं. यह विषय कर्नाटक के राजनीति पटल पर चर्चा का विषय है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा अभी लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता माने जाते हैं और लिंगायत समुदाय का झुकाव भी भाजपा की ओर माना जाता है. आगामी विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा को एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने का एक प्रमुख कारण भी लिंगायत समाज में उनका मजबूत जनाधार माना जाता है. समझा जाता है कि लिंगायतों के लिए अलग धार्मिक पहचान की मांग उठने को कांग्रेस राज्य में येदियुरप्पा के जनाधार को तोड़ने के मौके के रूप देख रही है.

भाजपा महासचिव राव ने कहा कि बहुत वर्ष बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एक मजबूत और स्वतंत्र सरकार को जनादेश मिला है. मोदीजी के नेतृत्व से देश को काफी आशा और उम्मीदें हैं, लेकिन हमें समझना होगा कि यह सरकार कोई दिखावटी काम नहीं करेगी, बल्कि यह सरकार ऐसा काम कर रही है, जिसके दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे.

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