नयी दिल्लीः संघ मतलब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस). आम तौर पर संघ को लोग हिंदूवादी चेहरा के तौर पर देखते हैं, लेकिन उसकी स्थापना के समय से लेकर अब तक करीब 92 साल के इतिहास में एेसा पहली बार होगा, जब संघ के सालाना कार्यक्रम में किसी मुसलमान को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है.
खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस साल अपने मुख्यालय नागपुर में होने वाले दशहरा पूजा में एक मुसलमान को मुख्य अतिथि बनाया है. मीडिया में आ रही रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस ने एक प्रसिद्ध होमियोपैथी चिकित्सक को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाकर पहली किसी मुसलमान को यह सम्मान देने का काम किया है.
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आरएसएस दशहरा यानी विजयादशमी के दिन अपना स्थापना दिवस मनाता है. 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन ही आरएसएस की स्थापना की थी. नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्यालय में दशहरे के मौके पर हर साल शस्त्र की पूजा की जाती है. इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आरएसएस ने बोहरा समुदाय के मुनव्वर यूसुफ को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाकर मुसलमानों के बीच अपनी छवि बदलने की कोशिश में जुटा हैं.
साथ ही, चर्चा इस बात की भी है कि आरएसएस मुसलमानों में अपनी पैठ गहरी करने के प्रयास में अपने स्थापना दिवस के मौके पर किसी मुसलमान को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, यूसुफ और उनके चाचा का आरएसएस के प्रचारकों से पुराना संबंध रहा है.
खबर यह भी है कि इस बार आरएसएस अपने नागपुर स्थित मुख्यालय में स्थापना दिवस के अलावा चार अलग-अलग अन्य कार्यक्रम भी आयोजित कर रहा है. हर कार्यक्रम में करीब 600 बच्चे शामिल होंगे.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसी साल अप्रैल में बोहरा समुदाय के नेता सैयदाना मुफद्दल से उनके मुंबई स्थिति आवास पर मुलाकात की थी. सैयदाना इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार के मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ कर चुके हैं.