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बंगाल का सांप्रदायिक सद्भाव अनूठा, अद्वितीय और अनुकरणीय

हावड़ा: जिसके पास शक्ति होगी, वह सामर्थ्यवान होगा. जिसमें शक्ति नहीं होगी, वह समाज में परिवर्तन नहीं ला सकता. समाज में शांति चाहिए तो शक्ति की आवश्कता होती है. इसीलिए मां दुर्गा का आह्वान करते हुए कहा जाता है : या देवी सर्वभूतेषु और उसके बाद कहते हैं : शांति रूपेण संस्थिता. देवी दुर्गा जहां […]

हावड़ा: जिसके पास शक्ति होगी, वह सामर्थ्यवान होगा. जिसमें शक्ति नहीं होगी, वह समाज में परिवर्तन नहीं ला सकता. समाज में शांति चाहिए तो शक्ति की आवश्कता होती है. इसीलिए मां दुर्गा का आह्वान करते हुए कहा जाता है : या देवी सर्वभूतेषु और उसके बाद कहते हैं : शांति रूपेण संस्थिता. देवी दुर्गा जहां शक्ति की प्रतीक हैं, वहीं शांति की भी प्रतीक हैं. वह शिक्षा की भी प्रतीत हैं, समाज की उन्नति के लिए शिक्षा की आवश्कता होती है. उक्त बातें राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने हावड़ा के लिलुआ स्थित विवेकानंद सम्मेलनी दुर्गापूजा समिति के मंडप व प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहीं.
इस दौरान महामहिम ने कहा कि पश्चिम बंगाल में दुर्गापूजा के दौरान समाजिक एकता का प्रदर्शन देशभर के लिए अनूठा, अद्वितीय और अनुकरणीय है. यह त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस त्योहार की सबसे अच्छी बात यह है कि यह हमारे साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है. इसमें हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई भी शामिल होते हैं.
कार्यक्रम में विवेकानंद समिति के अध्यक्ष जगदीश शरण अग्रवाल ने राज्यपाल को शाल ओढ़ा स्वागत किया, जबकि कार्यक्रम की संचालन अनिल अग्रवाल ने किया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्वरूप बंसल, विवेकानंद सम्मेलनी के अध्यक्ष सुरेंद्र छपारिया, शंभू सर्राफ, दिलीप घोष, विजय शुक्ला, सुनील अग्रवाल, सत्यनारायण बंसल, विकास सर्राफ, अमित बंसल, त्रिभुवन कुमार मिश्रा उपस्थित रहे. कार्यक्रम में आर्यमन अग्रवाल ने मां दुर्गा की वंदना बांग्ला भाषा में प्रस्ततु की, जबकि सोहन लाल देवरालिया की छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत किया.

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