मुंबई : सस्ती आवास योजना में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने आज एक नई निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) नीति की घोषणा की. इसके तहत निजी भूमि पर प्राइवेट बिल्डर द्वारा बनाए गए हर आवास के लिए 2.50 लाख रुपये तक की केंद्रीय सब्सिडी दी जायेगी. शहरी विकास एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज यहां कहा कि इस नीति का लक्ष्य शहरी क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर सस्ती आवास परियोजनाओं को निजी निवेशकों की क्षमता का दोहन करने के लिए खोलना है.
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रीयल एस्टेट उद्योग की संस्था नारेडको के यहां एक सम्मेलन में पुरी ने कहा, वर्ष 2022 तक सबकों आवास के लक्ष्य को पाने के लिए यह नीति कम उपयोग या गैर-उपयोग वाले भूखंडों का उचित उपयोग सुनिश्चित करेगी साथ ही जोखिमों को सरकार, डेवलपर और वित्तीय संस्थानों के बीच बांटेगी. नयी नीति के तहत सस्ती आवास योजनाओं के लिए दो पीपीपी मॉडल तय किए गये हैं. इसमें शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निजी भूमि पर सस्ती आवास परियोजना विकसित करने पर केंद्रीय सहायता के रूप में बैंक ऋण पर ढाई लाख रुपये तक की प्रति इकाई ब्याज सब्सिडी दी जाएगी.
दूसरे मॉडल के तहत यदि लाभार्थी बैंक ऋण नहीं लेता है तो निजी भूमि पर बने मकान के लिए केंद्रीय मदद के तौर पर उसे डेढ लाख रुपये प्रति इकाई के हिसाब से सहायता दी जाएगी. पुरी ने कहा, सस्ती आवास योजना में निजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कुल आठ पीपीपी मॉडल हैं. इनमें सरकारी भूमि पर निजी निवेश के छह विकल्प हैं. ये विकल्प राज्य सरकार, प्रमोटर संस्थाओं और अन्य हितधारकों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद रखे गये हैं. अन्य विकल्पों में डिजाइन बनाना, सरकारी भूमि पर मकान बनाकर हस्तांतरण करना शामिल हैं.