देवघर: सरस्वती, लक्ष्मी, दीपक और यशोदा, इन चारों के माता-पिता ने इनके नाम वैभवपूर्ण जरूर रखे हैं, लेकिन इनके ढ़ंग से पालन पोषण में गरीबी आड़े आ गयी. बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं, पर घर में ढंग की रोशनी की वह व्यवस्था नहीं कर पाये हैं.
स्कूल में भी डांट पड़ती थी, पर बच्चों ने माता-पिता की इस मजबूरी को अपने जज्बे पर हावी नहीं होने दिया, उन्होंने इसका काट निकाल लिया. अब वो रात में सड़क किनारे गड़े पोल पर जल रहे सोलर बल्ब के सहारे अपनी पढ़ाई करते हैं. उनके साथ उनकी मां भी बैठती हैं. अब उनकी पढ़ाई प्रभावित नहीं होती और न ही उन्हें किसी के ताने का डर है.
ये चारों देवघर के मोहनपुर प्रखंड के लेटवावरण गांव के हैं. इस गांव में बिजली पहुंची तो है, लेकिन अक्सर गायब रहती है. कभी बिजली रहती भी है, तो लो वोल्टेज की वजह से वह ढिबरी से भी कम रोशनी देती है. इनके पिता कैलाश यादव मजदूरी करते हैं, जबकि मां सविता देवी घरेलु महिला हैं. इनकी हैसियत इतनी नहीं कि बच्चों को बड़े स्कूल-कॉलेज में पढ़ा सकें. लेकिन बच्चों में पढ़-लिख कर आगे बढ़ने व अपने गांव का नाम रोशन करने का जज्बा है.
सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं बच्चे : बड़ी सरस्वती एएस कॉलेज की छात्रा है. लक्ष्मी गांव के ही सरकारी स्कूल में आठवीं, यशोदा सातवीं व दीपक पांचवीं कक्षा का छात्र है. इन तक सरकार की सोलर लालटेन योजना का लाभ भी नहीं पहुंचा है. इनका घर भी कच्चा है. ये बच्चे ग्रुप बनाकर सोलर स्ट्रीट लाइट के नीचे देर रात तक पढ़ाई करते हैं. रात में छोटे-भाई बहनों को डर नहीं लगे इसका खास ख्याल रखती है बड़ी बहन. उनकी हिम्मत बढ़ाती है.