देवघर: बड़ी मुश्किल और कड़ी मशक्कत के बाद झारखंड को एम्स की सौगात मिली है. यह सौगात संताल परगना जैसे पिछड़े इलाके के देवघर जिले के देवीपुर को मिला. इसके लिए कई स्तर से लड़ाई लड़ी गयी, तब जाकर एम्स देवघर में फाइनल हुआ. अब इस एम्स को लेकर श्रेय लेेने की राजनीति शुरू हो […]
देवघर: बड़ी मुश्किल और कड़ी मशक्कत के बाद झारखंड को एम्स की सौगात मिली है. यह सौगात संताल परगना जैसे पिछड़े इलाके के देवघर जिले के देवीपुर को मिला. इसके लिए कई स्तर से लड़ाई लड़ी गयी, तब जाकर एम्स देवघर में फाइनल हुआ. अब इस एम्स को लेकर श्रेय लेेने की राजनीति शुरू हो गयी है.
दरअसल, सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने अपने देवघर दौरे के क्रम में जिस तरह का बयान दिया, वह देवघर के लोगों को पच नहीं रहा है. श्री चौबे ने हाल ही में मंत्रालय की जिम्मेवारी संभाली है. शायद उनके संज्ञान में नहीं लाया गया है कि देवघर में एम्स के लिए किन-किन लोगों की अहम भूमिका रही है, इसलिए वह ऐसे बोल बोल गये.
देवघर के लिए सीएम का था वीटो
एम्स की स्वीकृति का घटनाक्रम देखें तो स्थिति साफ हो जायेगी. दरअसल एम्स की स्थापना देवघर में हो रही है, तो इसका सबसे अधिक श्रेय राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री रघुवर दास को जाता है. याद रहे कि मुख्यमंत्री पर कई तरह से दबाव पड़े. राज्य के सभी मंत्री, विधायक व सांसद अपने-अपने इलाके में एम्स ले जाना चाहते थे. लेकिन सीएम ने केंद्र सरकार को मात्र एक ही स्थल का प्रस्ताव भेजा और वह था देवघर का देवीपुर.
2014 से एम्स के लिए लड़े निशिकांत
एम्स के लिए गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने हर स्तर पर प्रयास शुरू किया था. 2014 से ही उन्होंने देवघर में एम्स लाने के लिए लड़ाई लड़ी. उस वक्त जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी, तब पीएम ने घोषणा की कि हर राज्य में एक एम्स की स्थापना होगी. तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों से जमीन की उपलब्धता और जगह चिन्हित कर प्रस्ताव मांगा. उस वक्त झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार थी. तत्कालीन सीएम हेमंत ने दुमका में एम्स का प्रस्ताव केंद्र को भेजा और वहां जमीन की खोज होने लगी.
लेकिन जैसे ही झारखंड में चुनाव हुए और भाजपा की सरकार रघुवर दास के नेतृत्व में बनी. सीएम रघुवर दास ने पहली कैबिनेट में देवघर में एम्स की स्थापना को मंजूरी दी और एक मात्र देवघर का प्रस्ताव केंद्र को भेजा. उसके बाद भी एम्स की फाइल स्वास्थ्य मंत्रालय में फंसी रही. सांसद ने इसके लिए लगातार प्रयास किया. विभिन्न फोरम पर बात रखी. इसी क्रम में उन्होंने 27 फरवरी 2017 व 5 अगस्त 2016 को लोकसभा में आवाज उठायी और केंद्रीय मंत्री से देवघर एम्स पर जवाब मांगा. और इसके साथ ही फाइल आगे बढ़ी और अब धरातल पर उतरने की स्थिति बनी है.