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आज विदा होंगे पूर्वज घाटों पर होगा तर्पण

सीवान : पितृ विसर्जनी अमावस्या बुधवार को है. इस दिन पूर्वजों का पूजन होगा व लोग तर्पण कर उन्हें विदा करेंगे. पितृ विसर्जन के दिन अमावस्या मध्याह्न काल में होगी. पूर्वजों के श्राद्ध और तर्पण के साथ ही पितृ पक्ष का समापन हो जायेगा. पितृ विसर्जनी अमावस्या पर सुबह से ही नारायणी नदी के घाटों […]

सीवान : पितृ विसर्जनी अमावस्या बुधवार को है. इस दिन पूर्वजों का पूजन होगा व लोग तर्पण कर उन्हें विदा करेंगे. पितृ विसर्जन के दिन अमावस्या मध्याह्न काल में होगी. पूर्वजों के श्राद्ध और तर्पण के साथ ही पितृ पक्ष का समापन हो जायेगा. पितृ विसर्जनी अमावस्या पर सुबह से ही नारायणी नदी के घाटों पर लोगों की भीड़ उमड़ेगी. लोग श्राद्ध, तर्पण के साथ ही अन्न, वस्त्र आदि का दान कर पूर्वजों को विदा करेंगे. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या व महालया कहते हैं.

जो व्यक्ति पितृ पक्ष के 15 दिन तक श्राद्ध, तर्पण आदि नहीं करते हैं, वे अमावस्या को ही अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध करते हैं.
श्रद्धा से करें श्राद्ध
पितृपक्ष पितरों के लिए महत्वपूर्ण होता है. इसमें श्रद्धा व विधि-विधान से श्राद्ध कर पितरों को संतुष्ट किया जा सकता है. डॉ पंकज शुक्ला की मानें तो श्राद्ध में विधान कम परंतु श्रद्धा अधिक होनी चाहिए. प्रात:काल नहा-धोकर फूल, अगरबत्ती, जल, काला तिल, अक्षत लेकर मंत्र के साथ सूर्य की ओर मुख कर पितरों के प्रति अर्पित करने से पितृ संतुष्ट होते हैं. खोये संस्कारों को पुन: स्थापित करने में पितृपक्ष मील का पत्थर है.
आनेवाली पीढ़ी इन संस्कारों से बहुत कुछ लाभ प्राप्त कर सकती है.

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